वाराणसी
प्रतिबंधित नशीली दवाओं की तस्करी में शहर के कारोबारियों की संलिप्तता उजागर

नशीली दवाओं के सिंडिकेट का नेटवर्क सक्रिय
प्रतिबंधित कफ सिरप और दर्द निवारक दवाओं की तस्करी जारी
वाराणसी। सरकार द्वारा प्रतिबंधित नशीली दवाओं की बिक्री पर रोक के बावजूद इनका अवैध कारोबार पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में जोरों पर है। सूत्रों के अनुसार, इन दवाओं का तस्करी सिंडिकेट इतना प्रभावी हो गया है कि प्रतिबंधित दवाएं सड़क मार्ग से पश्चिम बंगाल और वहां से बांग्लादेश तक पहुंचाई जा रही हैं।
शहर की सप्तसागर दवा मंडी के करीब 150 स्टॉकिस्टों की फर्मों से कफ सिरप, दर्द निवारक और अन्य नशीली दवाएं सीधे डिपो से पश्चिम बंगाल भेजी जा रही हैं। इस पूरे खेल में शहर के कुछ रसूखदार दवा कारोबारी भी शामिल बताए जा रहे हैं।
नारकोटिक्स की टीम सक्रिय, लेकिन साक्ष्य का अभाव
नारकोटिक्स और ड्रग विभाग की टीमों को इस अवैध कारोबार की जानकारी है। हालांकि, ठोस सबूत न होने के कारण अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी है। सूत्रों के अनुसार, तस्करी के इस गोरखधंधे में प्रतिबंधित दवाओं को पश्चिम बंगाल में दस गुना कीमत पर बेचा जा रहा है, जिससे तस्कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
सिंडिकेट से अलग होने पर मिली धमकियां
सिगरा क्षेत्र के एक दवा कारोबारी ने जब सिंडिकेट से दूरी बनाने की कोशिश की, तो तस्करों ने उसके कार्यालय में घुसकर मारपीट की और कर्मचारियों को धमकाया। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो चुकी है। फुटेज पुलिस अधिकारियों तक भी पहुंचा है, लेकिन कारोबारी ने किसी प्रकार की शिकायत दर्ज कराने से परहेज किया। सीसीटीवी फुटेज में शिवपुर क्षेत्र के एक हिस्ट्रीशीटर समेत चार तस्करों की पहचान की गई है।
मंडी में सख्ती की जरूरत
सप्तसागर दवा मंडी में चल रहे इस गोरखधंधे पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग उठ रही है। नारकोटिक्स और ड्रग विभाग की टीमें ऐसे गिरोह पर शिकंजा कसने के लिए सक्रिय हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या रसूखदारों के दबाव के आगे यह प्रयास सफल हो पाएंगे?