वाराणसी
पूर्वांचल में हर दिन बिक रहा चीन का लहसुन, देसी से कम कीमत पर बेच रहे दुकानदार
वाराणसी। जनपद में पहड़िया मंडी से लेकर पूर्वांचल के आसपास के जिलों में प्रतिदिन 10 टन हानिकारक चीनी लहसुन की बिक्री हो रही है। यह लहसुन बनारस के व्यापारी नेपाल के माध्यम से ट्रेनों और सड़क मार्ग से लाते हैं। चीनी लहसुन देसी लहसुन की तुलना में कम कीमत पर बिक रहा है। व्यापारी इसे 60 रुपये प्रति किलो खरीदकर दुकानदारों को 160 रुपये प्रति किलो बेचते हैं, जो कि देसी लहसुन से 50 रुपये कम है।
यह लहसुन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग इस मामले से अब तक अंजान है। पीडीडीयू नगर स्टेशन (मुगलसराय) से होकर सीमांचल एक्सप्रेस के जरिए चीनी लहसुन की तस्करी की जा रही है और मालवाहक वाहनों से इसे गाजीपुर, चंदौली, पीडीडीयू नगर (मुगलसराय) तथा पड़ाव रामनगर जैसे स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। कस्टम विभाग चीनी लहसुन की तस्करी पर काबू पाने के लिए प्रयासरत है लेकिन इसके बावजूद शहर में इसकी बिक्री खुलेआम जारी है।
इसके अलावा बनारस के विशेश्वरगंज, खोजवां, पांडेयपुर, कचहरी, चेतगंज, सिगरा और सुंदरपुर क्षेत्र में खुलेआम बिक्री हो रही है। शहर में रोजाना 20 से 25 क्विंटल चीन के लहसुन की खपत है। यह लहसुन थोक में 50 से 60 रुपये किलो और फुटकर में 260 रुपये किलो है। देसी लहसुन का भाव इस समय 280 से 300 रुपये किलो है। सब्जी फल व्यापारी आढ़ती जन कल्याण समिति के अध्यक्ष धनंजय मौर्य ने बताया कि चीन के लहसुन पर रोक लगनी चाहिए। मंडी सचिव को अवगत कराते हुए चोरी छिपे चीन के लहसुन का कारोबार करने वाले व्यापारियों के लाइसेंस रद्द कराए जाएंगे। यह लहसुन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और प्रतिबंधित है।
कैसे करें चीनी लहसुन की पहचान –
चाइनीज लहसुन कैमिकल्स के इस्तेमाल से बनता है। इसमें सिंथेटिक प्रोसेस का इस्तेमाल होता है। इसलिए यह एकदम सफेद, साफ और चमकदार होता है।
इसके विपरीत देसी लहसुन कुछ क्रीम या पीलापन लिए हुए होता है। चीन के लहसुन को काटने पर इसमें गंध बेहद कम आती है। देसी लहसुन की अपेक्षा सस्ता होने के कारण ज्यादातर होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट वाले चीनी लहसुन का उपयोग कर रहे हैं। विशेश्वरगंज मंडी के एक व्यापारी ने बताया कि चीन का लहसुन सस्ता होने से मांग अधिक है।