चन्दौली
डिजिटल तकनीक से सशक्त हो रहा है भारत का किसान : अभिनव यादव

पीडीडीयू नगर (चंदौली)। जब परंपरागत खेती आधुनिक तकनीक से जुड़ती है, तब किसान की ताकत कई गुना बढ़ जाती है। कृषि क्षेत्र के युवा जानकार अभिनव यादव बताते हैं कि बदलते समय के साथ भारत का कृषि क्षेत्र तेजी से डिजिटल हो रहा है, जिसमें मोबाइल ऐप्स, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों की भूमिका बढ़ रही है। आज किसान परंपरागत जानकारी पर निर्भर न रहकर रियल टाइम डेटा और वैज्ञानिक सलाह के आधार पर खेती कर रहे हैं। सरकार, कृषि संस्थान और निजी कंपनियां मिलकर किसानों को स्मार्टफोन के माध्यम से खेती से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करा रही हैं।
मौसम पूर्वानुमान, कीट और रोग नियंत्रण, मृदा परीक्षण, मंडी भाव और सरकारी योजनाओं की जानकारी अब मोबाइल पर आसानी से मिल रही है। ‘मेघदूत’ ऐप किसानों को क्षेत्र के अनुसार मौसम और कृषि सलाह देता है, जिससे वे सिंचाई और दवा छिड़काव का सही समय तय कर पाते हैं। ‘IFFCO किसान’, ‘कृषि ज्ञान’, ‘एम किसान’ और ‘पिक्चर इनसेक्ट’ जैसे ऐप्स फसल चयन, उर्वरक मात्रा, रोग पहचान और उपचार में सहायक हैं। ‘ई-नाम’ प्लेटफॉर्म से मंडियां ऑनलाइन जुड़ रही हैं, जिससे किसान अपनी उपज का मूल्य विभिन्न स्थानों से तुलना कर तय कर सकते हैं और बिचौलियों की भूमिका कम हुई है।
डिजिटल तकनीक का लाभ केवल जानकारी तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक लेन-देन में भी बड़ा बदलाव आया है। यूपीआई, भीम ऐप और मोबाइल बैंकिंग से किसान सीधे भुगतान प्राप्त कर रहे हैं, जिससे पारदर्शिता और समय की बचत हो रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से किसान अपने खेतों, उत्पादों और नवाचारों को साझा कर ग्राहकों से सीधे जुड़ रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है और पहचान भी बनी है। डिजिटल प्रशिक्षण और वेबिनार से किसान नई तकनीकों और बाजार की मांगों से अपडेट हो रहे हैं, जिससे उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार हो रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विभागों द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप और ऑनलाइन माध्यमों से किसानों को नियमित सलाह दी जा रही है। मोबाइल ऐप्स और पोर्टलों से किसान पीएम-किसान योजना, फसल बीमा और मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसी योजनाओं की जानकारी और आवेदन की स्थिति जान पा रहे हैं, जिससे प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हुई है। ‘डिजिटल ग्राम योजना’ के तहत गांवों में कॉमन सर्विस सेंटर, इंटरनेट कियोस्क और मोबाइल वैन जैसी सेवाओं से डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा मिल रहा है।
कई स्कूलों और कृषि महाविद्यालयों में डिजिटल कृषि को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है, जिससे नई पीढ़ी तकनीक-समझ खेती के लिए तैयार हो रही है। आने वाले समय में 5G, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ड्रोन और रिमोट सेंसिंग जैसी तकनीकों से खेती और भी सटीक और लाभकारी हो जाएगी, जिससे फसल की निगरानी, दवा छिड़काव और उत्पादन पूर्वानुमान बेहतर ढंग से किया जा सकेगा। कुल मिलाकर, डिजिटल तकनीक ने किसानों को नई दिशा और ताकत दी है, जिससे वे अधिक सशक्त, जागरूक और आत्मनिर्भर हो रहे हैं, और गांवों तक डिजिटल भारत का सपना साकार हो रहा है।