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चार बार पास की UPSC परीक्षा, अब तक नहीं मिली सर्विस, जानिए पूरा मामला

रिपोर्ट - सुभाष चंद्र सिंह
नई दिल्ली। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) पर एक बार फिर उंगलियां उठी हैं। ट्रेनी आईएएस अफसर पूजा खेडकर मामले को लेकर हंगामा अभी थमा भी नहीं था। इसी बीच आईआईटी रुड़की से मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले दिव्यांग कैंडिडेट कार्तिक कंसल से जुड़ा अजब मामला सामने आया है।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से जूझ रहे कार्तिक कंसल ने चार बार UPSC परीक्षा पास की, लेकिन अभी तक उन्हें कोई सरकारी सर्विस में शामिल नहीं किया गया। हालांकि, उन्हें Indian Revenue Service के लिए योग्य माना गया। लेकिन कोई सर्विस नहीं मिली। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब IAS प्रशिक्षु पूजा खेडकर पर दिव्यांग कोटे का गलत इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं। कार्तिक 14 साल की उम्र से व्हीलचेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनका सेलेक्शन अखिल भारतीय केंद्रीय भर्ती के माध्यम से इसरो में वैज्ञानिक के पद पर हुआ था।
कार्तिक अब तक यूपीएससी परीक्षा में कुल छह बार बैठ चुके हैं। इनमें से चार बार उन्हें सफलता मिली है। 2019 में उनकी रैंक (AIR) 813 थी, जो 2021 में 271 हो गई। ये इनका अब तक सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था। इसके बाद यूपीएससी-2022 में 784 और यूपीएससी-2023 में 829 थी। इसके बावजूद उन्हें अपने तीन सफल प्रयासों में सेवा आवंटित नहीं की गई है जबकि 2023 में चौथे अटेम्प्ट के लिए सेवा आवंटन भी लंबित है। कार्तिक फिलहाल सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) में अपना केस लड़ रहे हैं।
कार्तिक के भाई वरुण कंसल ने कहा कि,कार्तिक देखने, बैठने, पढ़ने, लिखने और बातचीत करने जैसी सभी फिजिकल रिक्वायरमेंट को पूरा करते हैं। कार्तिक की दूसरी प्राथमिकता IRS थी, जिसके नोटिफिकेशन के कंडीशन में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी भी शामिल थी। 2021 के नोटिफिकेशन में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, दोनों पैर, दोनों हाथ, एक हाथ और एक पैर जैसी डिसएबिलिटी को स्वीकार करने वाले कॉलम शामिल हैं।
8 साल की उम्र में ही उन्हें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का पता चला, जिसके कारण 14 साल की उम्र के बाद उन्हें व्हीलचेयर पर बैठना पड़ा। यह बीमारी जेनेटिक थी और वह इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते थे। यहां तक कि उन्हें अपनी डिसेबिलिटी की वजह से जिंदगी में कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा है।