धर्म-कर्म
मकर में सूर्य का दुग्धाभिषेक और आरती से अभिनंदन
” प्रकृति को बचाने का संदेश देता है मकर संक्रांति पर्व “
” हजारों श्रद्धालुओं को कोरोना की तीसरी लहर के खतरे से किया सचेत, बांटे मास्क “
वाराणसी। मकर संक्रांति पर्व संस्कृति और प्रकृति संरक्षण का संदेश भी देता है । दशाश्वमेध घाट पर नमामि गंगे ने भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के पुण्य अवसर पर दुग्धाभिषेक कर संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण का संदेश दिया। जीवन में उल्लास और समरसता के संदेशवाहक मकर संक्रांति के पर्व पर सूर्य देव और मां गंगा की आरती उतारी । गंगा किनारे की साफ-सफाई कर लाउडस्पीकर द्वारा लोगों से आवाह्न किया कि वातावरण साफ-स्वच्छ रहेगा तो स्वजन और समाज भी स्वच्छ रहेंगे । पर्यावरण के लिए हानिकारक सिंगल यूज़ पॉलिथीन का उपयोग न करने की सलाह देकर लोगों में कपड़े के झोले का वितरण किया गया । मकर संक्रांति के पर्व पर हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को कोरोना की तीसरी लहर से बचने के लिए वैक्सीन लगवाने व मास्क पहनने की अपील की गई । गंगा स्नान के लिए उपस्थित नागरिकों में मास्क का वितरण भी किया गया । नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि हमारी भारतीय परम्पराएं पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं । हिन्दू धर्म के जितने भी त्योहार हैं, वे सब प्रकृति के अनुरूप हैं। मकर संक्रान्ति पर्व प्रकृति संरक्षण का पुण्य स्मरण है। आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, महानगर सहसंयोजक शिवम अग्रहरी, महानगर सहसंयोजक रामप्रकाश जायसवाल, सत्यम जायसवाल सारिका गुप्ता, रश्मि साहू , रेनू जायसवाल, सोनू, पूजा मौर्या, पंकज अग्रहरि आदि उपस्थित रहे ।