धर्म-कर्म
कार्तिक पूर्णिमा पर सत्यनारायण कथा से दूर होंगे सारे अभाव
वर्ष की सबसे बड़ी पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण का व्रत रखकर कथा-पूजन करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है, सारे अभाव दूर होते हैं और सुख, सौभाग्य, धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्योदय पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र पहनें और अपने घर के पूजा स्थान में एक चौकी पर आधे भाग में लाल कपड़ा और आधे भाग में सफेद कपड़ा बिछाएं। लाल कपड़े पर गेहूं से सोलह ढेरियां बनाएं। इन पर एक-एक पूजा की बादाम स्थापित करें। ये षोडश मात्रका की प्रतीक हैं। सफेद कपड़े पर चावल से नौ ढेरियां बनाएं और उन पर लौंग-इलायची, पूजा की सुपारी स्थापित करें।
ये नवग्रह की प्रतीक हैं। इनके मध्य में एक पान पर सुपारी रखकर उसमें गणेश जी की स्थापना कर षोडशोपचार पूजन करें। चौकी पर भगवान सत्यनारायण का चित्र स्थापित करके आसपास केले के पत्ते सजाएं। गणेश पूजन के बाद कलश पूजन करें, दीप प्रज्जवलित करें और कथा सुनें या पढ़ें। कथा के बाद हवन करें, नैवेद्य लगाकर प्रसाद वितरित करें।
सत्यनारायण व्रत-कथा के लाभ
सत्यनारायण पूजन का सबसे बड़ा लाभ आर्थिक स्थिति में सुधार के रूप में दिखाई देता है। यदि आपको आर्थिक संकट बना हुआ है। लाख प्रयत्न करने के बाद भी धन का अभाव बना रहता है तो आपको सत्यनारायण पूजन अवश्य करना चाहिए।
सत्यनारायण कथा से उन युवक-युवतियों के विवाह का मार्ग खुलता है, जो लंबे समय से विवाह होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं लेकिन किसी न किसी कारण से उनका विवाह टल जाता है या कोई बाधा आ जाती है।
जिस दंपतियों को संतान सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा, वे यदि सत्यनारायण पूजन करें तो उन्हें शीघ्र ही उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।
नौकरी में उन्नति, व्यापार में विस्तार और लाभ के लिए कार्तिक पूर्णिमा पर सत्यनारायण कथा-पूजन अवश्य करना चाहिए।
विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता के लिए सत्यनारायण कथा पूजन करना चाहिए।
शत्रुओं से परेशान हैं, कर्ज बहुत बढ़ गया है तो सत्यनारायण कथा पूजन करने से इस तरह के सारे संकट दूर हो जाते हैं।
सत्यनारायण पूजन करने से नवग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।