वाराणसी
श्री विष्णु चरण पादुका का शंकराचार्य ने किया पूजन

वाराणसी। ज्येष्ठ पूर्णिमा के पावन अवसर पर काशी स्थित मणिकर्णिका तीर्थ स्थल पर बुधवार को धर्म, अध्यात्म और परंपरा का अनूठा संगम देखने को मिला। इस शुभ अवसर पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ने श्री विष्णु चरण पादुका का विधिवत पूजन किया। पंचोपचार विधि से 11 ब्राह्मणों द्वारा यह पूजन संपन्न कराया गया।
पूजन के पश्चात शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने श्री विष्णु चक्र, चक्र पुष्करिणी तीर्थ एवं रत्नेश्वर महादेव के दर्शन कर आचमन और पूजन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि मणिकर्णिका तीर्थ वही पुण्य स्थल है, जहां भगवान विष्णु ने सहस्त्रों वर्षों तक तपस्या की थी। उनके कठोर तप से उत्पन्न पसीने से बना कुंड कालांतर में चक्र पुष्करिणी तीर्थ कहलाया। यहीं भगवान शिव और माता पार्वती ने स्नान किया और माता के मणि कुंडल के गिरने से इस स्थल का नाम मणिकर्णिका पड़ा। उन्होंने कहा कि यह स्थान सनातन धर्म का अत्यंत पवित्र तीर्थ है, जिसका वर्णन अनेक शास्त्रों और पुराणों में मिलता है।
शंकराचार्य ने मणिकर्णिका घाट की वर्तमान स्थिति पर दुख जताते हुए कहा कि आज यहां स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं और अंतिम संस्कार के लिए आने वाली शवयात्राओं के लिए कोई पृथक व्यवस्था नहीं है। यह स्थिति भावनाओं को आहत करने वाली है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस पावन तीर्थ पर आने वाले श्रद्धालुओं और शवयात्राओं के लिए अलग-अलग मार्ग और सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।
इस अवसर पर काशी तीर्थ पुरोहित सभा के अध्यक्ष मनीष नन्दन मिश्र ने मणिकर्णिका तीर्थ की पौराणिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सृष्टि के आरंभ से पूर्व जब चारों ओर अंधकार और शून्यता थी, तब परमेश्वर की इच्छा से भगवान विष्णु प्रकट हुए। उन्हें तपस्या हेतु स्थिर स्थान की आवश्यकता थी, तब निराकार सदाशिव ने स्वयं को पंचक्रोशात्मक काशी रूप में प्रकट किया। यही दिव्य क्षेत्र श्री विष्णु चरण पादुका के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
कार्यक्रम के दौरान श्री विष्णु चरण पादुका मणिकर्णिका तीर्थ विकास समिति के गठन की घोषणा की गई, जो इस प्राचीन तीर्थ स्थल के संरक्षण और विकास के कार्यों को गति देगी।
कार्यक्रम में देवेंद्र नाथ शुक्ला, कन्हैया लाल त्रिपाठी, राजनाथ तिवारी, वीरेंद्र शुक्ला, कृपा शंकर द्विवेदी, विवेक शुक्ला, जयेंद्र नाथ दुबे, बंटी पाठक एवं आनंद कृष्ण शर्मा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।