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वाराणसी

श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणासी में “टाइम्स टू टॉक डे”के अवसर पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

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वाराणसी।श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणासी में “टाइम्स टू टॉक डे”के अवसर पर मनोविज्ञान विभाग एवम् आई क्यू ए सी के संयुक्त तत्वावधान में एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।सरस्वती वंदना से शुरू हुए इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में एम जी काशी विद्या पीठ वाराणसी की कुलसचिव डॉ सुनीता पाण्डेय ने वर्तमान परिवेश में बातचीत के महत्व को उद्घाटित करते हुए कहा कि जहां माता पिता दोनों नौकरी में हैं,वहां कई बार ऐसी स्थिति आती है कि समय के अभाव में वार्तालाप नहीं हो पाता,जिससे बच्चों के विकास में बाधा पहुंचती है।हमें समय निकालकर हर स्थिति में बातचीत करते रहनी चाहिए।कार्यस्थल पर भी कोई न कोई जरूर आपका नजदीकी होगा जिससे हम अपनी समस्याओं को कह सकते हैं।राजस्थान विश्व विद्यालय के मनोविज्ञान एवम शिक्षाशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो ए वी एस मदनावत ने बहुत ही कवित्व पूर्ण ढंग से शेरों शायरी के माध्यम से अनवरत संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया।उन्होंने यहां तक कहा कि यदि दिल न भी मिले तो भी बातचीत करते रहना चाहिए।कांके,रांची,झारखंड के रिनपास के एडिशनल प्रोफेसर डा के एस सेंगर ने कहा कि हमारे यहां बातचीत का बड़ा महत्व था और हम आपस में खूब बतियाते थे, उस समय हम इतना अकेलापन नहीं महसूस करते थे।हम बातचीत से अपने संवेगों को,तनाव को दूर करते हैं।आपस में बातचीत से सहयोग,सद्भाव,विश्वास व सम्मान उत्पन्न होता है,जो हमें खुशी और प्रसन्नता प्रदान करते हैं। संवेगो की अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान करती है बातचीत,अपने को अभिव्यक्ति का अवसर मिलता है।प्रो सेंगर ने कहा कि “नो हेल्थ विदआउट मेंटल हेल्थ”,खुल के बोलें,खुल के हंसे।गोरखपुर मनोविज्ञान विभाग के प्रो धनंजय कुमार ने कहा की दूसरों की बात सुनना,उसकी भावनाओं को जानना ही उसकी मदद करना है।ध्यान से सुनें,उसे बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करें।हमें बिना किसी पूर्वाग्रह और रूढ़ियुक्तियों से प्रभावित हुए दूसरों की बात को सुननी चाहिए।हमें अच्छा श्रोता बनने की जरूरत है।तभी हम किसी की मदद कर सकते हैं।कई शोध अध्ययनों से इस तथ्य की पुष्टि हुई है कि खुली बातचीत हर किसी के मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम के आरंभ में ही अभ्यागतो का स्वागत करते हुए महाविद्यालय के यशस्वी प्रबंधक अनिल कुमार जैन ने अपने कोविड से प्रभावित होने के दौरान अकेलेपन का जिक्र करते हुए संवाद के महत्व को रेखांकित किया।उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या का समाधान वार्ता से ही संभव है।मन की खामोशियों को पढ़ने में मनोविज्ञान ही सक्षम हैं।आपस में बातचीत करने से मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो मिथिलेश सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि शारीरिक बीमारी की चर्चा लोग बेहिचक करते हैं लेकिन चिंता और अवसाद सहित अनेक मानसिक तकलीफों का जिक्र करने से भी डरते है।इस अवधारणा को हमें बदलना चाहिए।हमें किसी भी कीमत पर बातचीत जारी रखनी चाहिए।हम जानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बातचीत में जीवन बदलने की शक्ति होती है। हममें से हर 4 में से किसी भी वर्ष में मानसिक स्वास्थ्य समस्या का अनुभव करते है।अतिथियों का स्वागत करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा ओ पी चौधरी ने कहा की जहां बातचीत बंद हो जाती है वहीं समस्या शुरू हो जाती है।टाइम टू टॉक डे एक बहुत विशाल फोरम है मानसिक स्वास्थ्य बातचीत का।जब दोस्त,परिवार,समाज,समुदाय,रिश्तेदार,कार्यस्थल के लोग आपस में बातचीत करने,सुनने और जीवन शैली बदलने के लिए आते हैं।वह अवसर आज हम लोगों ने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बातचीत करके एक दूसरे का समर्थन करते हैं। आई क्यू ए सी की समन्वयक डा अनीता सिंह ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बातचीत शुरू करना ही महत्वपूर्ण है।इसके बारे में बात करके हम अपना और दूसरों का अनुमोदन करते हैं।कार्यक्रम का अत्यंत सफल संचालन हिंदी विभाग की सहायक आचार्य और आई क्यू ए सी की सदस्य डा सुमन सिंह ने किया।धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मनोविज्ञान विभाग की सहायक आचार्य एवम् करियर एंड काउन्सलिंग प्रकोष्ठ की सह समन्वयक डा आराधना श्रीवास्तव ने यह एक ऐसा मंच है जहां हम मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में खुलकर बातचीत कर सकते हैं।इस वेबिनर में उत्तराखंड,छत्तीसगढ़,राजस्थान,बिहार,दिल्ली सहित लखनऊ,कानपुर,प्रयागराज,अयोध्या आदि स्थानों से शोध अध्येता,विद्यार्थी,परामर्शदाता,शिक्षक, एन जी ओ के लोग जुड़े रहे।

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