वाराणसी
राष्ट्रवादी चिंतक मंच ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रुप में मनाया
आजाद हिन्द फौज के संस्थापक श्रद्धेय सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती को “पराक्रम दिवस” के रूप में राष्ट्रवादी चिंतक मंच ने मनाया। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्व पूर्ण भूमिका निभाई थी।जापानी समर्थित राष्ट्रीय सेना(आजाद हिन्द फ़ौज)के प्रमुख थे।वे आजाद हिंद फौज के संस्थापक प्रमुख थे।इस बार भारत सरकार ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जयंती को गणतंत्र दिवस समारोह जोड़कर मना रहे हैं।इस बार गणतंत्र दिवस समारोह 24जनवरी के बजाय 23 जनवरी से मनाया जाएगा। नेता जी का प्रिय नारा तुम मुझे खून दो। मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा । उस समय सबसे प्रचलित नारा था,काशी स्वतन्त्रता सेनानिनियो की पशदिंदा जगह थी।बोस जी के निकटतम शिवनाथ चैटर्जी से किताबे व अन्य सामग्री मंगवाते थे,काशी अध्यात्म का हब था,बोस जी शादी उनके सहयोगी एमिलसैनकी से ऑस्ट्रिया में हिंदू रीति रिवाज से हुआ।,उनसे एक लड़की भी थी अनिता बोस नाम था।6जुलाई 1944 को रंगून रेडियो पे नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को संबोधन राष्ट्रपिता करने से सभी अटकलों पे विराम लग जाता है। इंडिया गेट दिल्ली में जॉर्ज पंचम की मूर्ति की जगह नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की प्रतिमा का अनावरण मोदी जी के द्वारा हुआ। 18अगस्त सन 1945 में विमान दुर्घटना में मरने का समाचार मिलना और डेड बॉडी का न मिलना अपने आप में रहस्मय है।मुखर्जी आयोग को ताइवान सरकार द्वारा बताया गया कि 1945 में कोई भी विमान दुर्घटना का न होना।नेता जी सुभास चन्द्र बोस जी देश के लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी और कुशल नेतृत्व कर्ता थे,नेता जी।राष्ट्रवादी चिंतक मंच* ने गूगल मीट के मदद से 23.01.22को सांय 5बजे आरंभ किया।सभी सम्मानित सदस्य गण,जनप्रतिनिधि हैं लिंक्ड थे।सर्व श्री राजेश राय जी वरिष्ठ समाज सेवी, अरविंद कुमार सिंह, शैलेंद्रश्रीवास्त्वा एडवोकेट दीवानी जी, बंदेभारत पत्रिका के रामप्रसाद जी, बालमिकी00य सेवा संस्थान के
राधेश्याम द्दिवेदी जी,सेवा भारती के गोविन्द रस्तोगी जी,आदि लोग जुड़े रहे।