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वाराणसी

यूपी का सघन टीबी अभियान बना मिसाल, करोड़ों की हुई स्क्रीनिंग

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उत्तर प्रदेश ने टीबी को जड़ से मिटाने के लिए नई ताकत और रणनीति के साथ लड़ाई तेज कर दी है। राज्य ने टीबी के मामलों का जल्द पता लगाने और समुदाय को जागरूक करने पर विशेष ध्यान दिया है। सक्रिय मामलों की खोज बढ़ाई गई है और आधुनिक तकनीक जैसे एआई-सक्षम पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों का इस्तेमाल करके यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी मरीज इलाज से वंचित न रह जाए।

मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 7 दिसंबर 2024 को 15 जिलों में शुरू हुआ 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान जनवरी 2025 तक पूरे 75 जिलों में फैलाया गया। इस दौरान 4.07 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गई और 44.30 लाख से अधिक एक्स-रे जांच तथा 8.34 लाख नैट टेस्ट के जरिए 2,13,000 नए मरीजों की पहचान हुई।

खास बात यह रही कि यह अभियान बिना लक्षण वाले मरीजों को खोजने पर केंद्रित रहा। कुंभ मेले जैसे बड़े आयोजनों में भी यह मुहिम सक्रिय रही और वहां 20 नए मामलों का पता चला, जिनमें एक दवा-प्रतिरोधी केस भी था।टीबी की जांच सुविधाएं बढ़ाना इस सफलता की नींव रही है।

पूरे देश में सबसे अधिक जांच उत्तर प्रदेश में हुईं, जहां 13.01 लाख नैट जांच की गईं और 14 टीबी कल्चर लैब, 756 ट्रूनैट व 170 सीबीनैट मशीनें कार्यरत हैं। परिणामस्वरूप 2024 में 6,82,078 टीबी मरीजों की पहचान की गई, जो देश में सबसे अधिक है।

तकनीक के साथ सामुदायिक भागीदारी को भी महत्व दिया गया है। निःक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को वित्तीय सहायता दी जाती है। अब तक 29.30 लाख मरीजों को 887 करोड़ रुपये की मदद दी गई है। अब इलाज के दौरान मरीजों को दो किस्तों में कुल 6,000 रुपये मिलते हैं।

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इससे उपचार की सफलता दर 94% तक पहुंच गई है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 2024 में 11.82 लाख संपर्कों को टीबी से बचाव की दवा भी दी गई।राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा 2019 में शुरू की गई ‘टीबी मरीज गोद लेने’ की पहल भी कारगर साबित हुई। अब तक 63 हजार से अधिक निःक्षय मित्रों द्वारा 3.71 लाख मरीजों को 4.77 लाख पोषण किट दी गई हैं। हर महीने की 15 तारीख को मनाया जाने वाला निःक्षय दिवस भी पहचान और इलाज को बढ़ावा देने में मददगार बना है।

उत्तर प्रदेश के प्रयासों से टीबी कार्यक्रम की प्रदर्शन रेटिंग 2021 के 80 से बढ़कर 2024 में 91.3 तक पहुंच गई है। ‘टीबी मुक्त ग्राम पंचायत’ पहल के तहत 2023 में 1,372 और 2024 में 7,159 गांवों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है।

इन तमाम प्रयासों ने राज्य को टीबी उन्मूलन की दिशा में देशभर में अग्रणी बना दिया है। अगर यही रफ्तार बनी रही, तो टीबी मुक्त भारत अब सिर्फ एक सपना नहीं, बल्कि जल्द ही एक सच्चाई बन सकता है।

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