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मिर्ज़ापुर

मंडलीय चिकित्सालय में निजी हितों का बोलबाला, प्रशासन मौन

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मिर्जापुर। प्रदेश सरकार जहां एक ओर स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं मंडलीय चिकित्सालय में निजी चिकित्सालयों, दवा दुकानों और सीटी स्कैन व एक्सरे संचालकों का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। चिकित्सालय के बाहर स्थित दुकानों के इशारों पर अस्पताल की मशीनें कभी खराब हो जाती हैं तो कभी चालू हो जाती हैं।

अस्पताल के डॉक्टर अक्सर मरीजों को बाहर की दवा दुकानों पर पर्चा लिखकर भेजते हैं, जहां न केवल महंगी दवाएं दी जाती हैं, बल्कि ऑपरेशन से जुड़ा सारा सामान भी वहीं से लिया जाता है। दुकानदार से जानकारी मांगने पर जवाब मिलता है कि “यह आपसे मतलब नहीं है, समान ऑपरेशन रूम तक पहुंचा दिया जाएगा।

“स्थिति यह है कि मरीज अस्पताल की जांच मशीनों तक पहुंचते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि मशीन खराब है और बाहर जांच कराने को भेज दिया जाता है। यह सब व्यवस्था बाहर की दुकानों की मिलीभगत से संचालित हो रही है, जिससे मोटी कमाई हो रही है।

रात में इन दुकानदारों को अस्पताल परिसर में बेधड़क घूमते हुए देखा जा सकता है। जब इस पूरे मामले की शिकायत एक प्रेस वार्ता के दौरान अस्पताल प्रशासन से की गई तो संबंधित अधिकारी ने केवल इतना कहा कि “हर कोई कमाना चाहता है, अगर कोई दोषी पाया गया तो कार्यवाही होगी।”

इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। आज तक न तो किसी पर कार्यवाही हुई, न ही किसी अधिकारी ने गंभीरता से इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लिया है, जिसका खामियाजा आम मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

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