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गाजीपुर

प्रचंड गर्मी से बेहाल पशु-पक्षी, राहत के लिए करें जरूरी उपाय

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पशु-पक्षियों की मदद हम सभी का दायित्व

गाजीपुर। भीषण उमस और तापमान में लगातार वृद्धि ने जहाँ आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं इसका सबसे गहरा प्रभाव उन बेजुबान पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है, जो न तो कुछ कह सकते हैं और न ही अपनी पीड़ा जाहिर कर सकते हैं। इंसान जहाँ एसी, पंखों और शीतल पेयों का सहारा लेकर गर्मी से राहत पाने की कोशिश करता है, वहीं जीव-जंतुओं के लिए यह मौसम जानलेवा साबित हो रहा है।

प्राकृतिक जल स्रोत सूखने से गहराया संकट

इन दिनों तापमान 45 डिग्री के पार पहुंच चुका है। खेतों, झीलों और अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों का सूखना पशु-पक्षियों के लिए खतरे की घंटी बन गया है। पानी की कमी से ये जीव निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) के शिकार हो रहे हैं, जिससे उनकी मृत्यु तक हो जाती है। गर्म हवाएं (लू) उनके शरीर को अंदर से झुलसा देती हैं।

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हीट स्ट्रोक और बीमारी की चपेट में आ रहे हैं पक्षी

विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी के कारण पक्षियों में कोराइजा नामक बीमारी फैल रही है, जिससे उनकी दृष्टि पर असर पड़ता है और वे उड़ने में असमर्थ हो जाते हैं। अक्सर देखा गया है कि ये पक्षी अचानक गिरकर दम तोड़ देते हैं। गर्मी के कारण उनकी उड़ान की क्षमता भी कम हो जाती है और वे दोपहर में छांव की तलाश करते रहते हैं।

पशुओं की भूख भी हुई कम, पाचन तंत्र पर असर

गर्मी का असर पशुओं के पाचन तंत्र पर भी पड़ रहा है। भूख कम लगने से उनमें कमजोरी और बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। मुर्गियों में मृत्यु दर में इज़ाफा देखा गया है। गाय, भैंस, बकरी और कुत्तों जैसे घरेलू व आवारा जानवर भी इस गर्मी से बेहाल हैं।

बचाव के उपाय – जन सहयोग से मिल सकती है राहत

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पशु चिकित्सकों और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ आसान उपाय अपनाकर इन बेजुबानों को राहत दी जा सकती है:

पानी की व्यवस्था: घरों के आस-पास या छायादार स्थलों पर मिट्टी या स्टील के बर्तनों में साफ पानी भरकर रखें।

छायादार स्थान: पशुओं को सीधे सूर्य की किरणों से बचाएं, उन्हें हवादार और छायायुक्त जगह पर रखें।

हरा चारा और हल्का भोजन: बरसीम, नेपियर जैसी घास से तैयार हरा चारा दें, जिससे शरीर को ऊर्जा मिले।

शरीर को ठंडक पहुँचाना: सुबह-शाम ठंडे पानी से नहलाएं या उनके शरीर पर पानी का छिड़काव करें।

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स्वास्थ्य निगरानी: किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

सफाई का ध्यान: गर्मियों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए साफ-सफाई बेहद जरूरी है।

नैतिक जिम्मेदारी निभाएं

गर्मी के इस दौर में पशु-पक्षियों की मदद करना हम सभी का नैतिक दायित्व है। अगर हर व्यक्ति अपने आस-पास के बेजुबान जीवों के लिए पानी और छांव की व्यवस्था करे, तो बड़ी संख्या में इनकी जान बचाई जा सकती है।

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