वाराणसी
निर्भीक पत्रकारिता के प्रणेता रामनारायण दादा को जयदेश परिवार ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

जयदेश कार्यालय में श्रद्धा पूर्वक मनाई गई रामनारायण दादा की 103वीं जयंती
वाराणसी। पत्रकारिता की निर्भीक परंपरा के अग्रदूत, जयदेश हिंदी दैनिक के संस्थापक आदरणीय स्वर्गीय रामनारायण दादा की 103वीं जयंती के अवसर पर रविवार को जयदेश परिवार ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। जयदेश कार्यालय में आयोजित गरिमामय समारोह में उनके आदर्शों को नमन करते हुए सभी ने गहन भावनाओं से श्रद्धांजलि अर्पित की।
दादा का निर्भीक पत्रकारिता का सपना
समय की कसौटी पर खरे उतरते हुए, वर्ष 1976 में रामनारायण दादा ने जयदेश का प्रकाशन आरंभ किया था। उस दौर में जब निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता कठिन तपस्या के समान थी, दादा ने पत्रकारिता को जनसेवा का मजबूत माध्यम बनाया। उनके निधन के उपरांत कुछ समय के लिए यह प्रेरणा मंद अवश्य हुई, परंतु आज उनके पौत्र—आशुतोष जायसवाल, सुमित जायसवाल, प्रमथ कुमार जायसवाल, संदीप कुमार जायसवाल और पौत्री शशिबाला जायसवाल—ने इस दीप को फिर से प्रज्वलित किया है। अब न केवल समाचार पत्र का पुनर्प्रकाशन हो रहा है, बल्कि डिजिटल युग में भी ‘जयदेश न्यूज़’ के रूप में उनकी विरासत को नई उड़ान मिल रही है।
समारोह में उपस्थित गणमान्य अतिथि
इस अवसर पर परिवार के वरिष्ठ सदस्य सुभाष चंद्र सिंह, अरुण सिंह, आशुतोष जायसवाल, सुमित जायसवाल, प्रमथ कुमार जायसवाल, संदीप कुमार जायसवाल और शशिबाला जायसवाल सहित अनेक प्रतिष्ठित अतिथि उपस्थित रहे। संपादक रामाश्रय सिंह, अजय सिंह, साक्षी अग्रवाल, खुशरंग हिना, शिव बहादुर श्रीवास्तव, केके श्रीवास्तव, नीरज शर्मा, शुभम सिंह, राजकुमार यादव , प्रदीप कुमार और नगर के कई अन्य वरिष्ठ नागरिकों ने भी दादा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
दादा को युगपुरुष की संज्ञा
वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में रामनारायण दादा के संघर्षशील जीवन, पत्रकारिता में उनके अतुलनीय योगदान और समाज में स्थापित उच्च मूल्यों को स्मरण किया। सभी ने उन्हें युगपुरुष की संज्ञा दी और संकल्प लिया कि दादा द्वारा स्थापित पत्रकारिता के आदर्शों को जीवित रखते हुए जयदेश परिवार नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ता रहेगा।
दादा के सपनों का जयदेश
एक ऐसा समाचार पत्र जो जनभावनाओं का सच्चा प्रतिनिधि बने, जो न भय से दबे और न लोभ से झुके। उनके लिए पत्रकारिता एक साधना थी, केवल पेशा नहीं। आज जब जयदेश समाचार पत्र और जयदेश न्यूज़ डिजिटल मंच पर नए जोश के साथ आगे बढ़ रहे हैं, तो यह दादा के उसी स्वप्न का नवजीवन है। उनके सिद्धांत, निष्ठा और समाज के प्रति प्रतिबद्धता आज भी प्रत्येक शब्द और समाचार के माध्यम से जीवित हैं। जयदेश परिवार दादा के आदर्शों को दीपशिखा की तरह थामे, सत्य और सेवा की राह पर अडिग होकर अग्रसर है।