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टेस्ट से रिटायरमेंट पर पिता हुए दुखी, रोहित शर्मा ने सुनाया दिल छू लेने वाला किस्सा

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद पहली बार चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने खुलासा किया कि इस फैसले से उनके पिता गुरुनाथ शर्मा बेहद निराश थे क्योंकि वह टेस्ट क्रिकेट के जबरदस्त प्रशंसक हैं। यह बयान रोहित ने चेतेश्वर पुजारा की पत्नी की किताब के लॉन्च इवेंट में दिया, जहां उन्होंने अपने पिता की भावनाओं और टेस्ट फॉर्मेट से अपने जुड़ाव के बारे में खुलकर बात की।
रोहित ने बताया कि उनके पिता ने उनके करियर की हर पारी को बेहद करीब से देखा है। स्कूल क्रिकेट से लेकर भारत की सीनियर टीम तक, हर मोड़ पर उन्होंने बेटे को सपोर्ट किया है। रोहित ने कहा कि जब उन्होंने वनडे में 264 रन बनाए थे, तो पिता ने सिर्फ “अच्छा खेला” कहा, लेकिन टेस्ट में 30-40 रन भी बनाने पर वो हर गेंद की चर्चा करते थे। यही कारण था कि रोहित का टेस्ट से संन्यास लेना उनके लिए भावनात्मक रूप से कठिन फैसला था।

रोहित शर्मा ने 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू किया था और पहली ही पारी में शतक जड़ा था। हालांकि शुरुआत में उनका प्रदर्शन अस्थिर रहा, लेकिन बतौर ओपनर उन्होंने टेस्ट में एक नई पहचान बनाई। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों के खिलाफ विदेशों में शतक लगाकर उन्होंने यह साबित किया कि वे सिर्फ लिमिटेड ओवर्स के खिलाड़ी नहीं हैं।
हाल के समय में उनका प्रदर्शन गिरा था और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंतिम टेस्ट से उन्हें बाहर कर दिया गया था। इसके बाद से ही अटकलें तेज हो गई थीं कि रोहित टेस्ट क्रिकेट से रिटायर हो सकते हैं, जो 7 मई को सच हो गया। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके पिता को यह फैसला दुख पहुंचा, लेकिन अंततः उन्होंने बेटे के निर्णय का सम्मान किया और कहा कि अगर यह सोच-समझकर लिया गया है, तो वह पूरी तरह साथ हैं।
टेस्ट क्रिकेट के प्रति रोहित के पिता का लगाव उनके शब्दों से झलकता है। रोहित ने कहा कि उनके लिए रेड बॉल क्रिकेट असली क्रिकेट है, जहां तकनीक, धैर्य और संघर्ष की असली परीक्षा होती है। ऐसे में उनके पिता की भावनाएं स्वाभाविक थीं, लेकिन उन्होंने बेटे के फैसले को समझदारी से स्वीकार किया।