राष्ट्रीय
आतंकवाद मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा खतरा : राजनाथ सिंह

नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि, आज आतंकवाद पूरी दुनिया के सामने सबसे गंभीर चुनौती बन चुका है। यह मानवता, शांति, सह-अस्तित्व, विकास और लोकतंत्र जैसे मूल्यों का खुला शत्रु है। आतंकवाद कट्टर सोच का परिणाम है, जो केवल विनाश, भय और नफरत को जन्म देता है। यह न कोई समाधान है, न ही किसी सार्थक बदलाव का माध्यम बन सकता है। इतिहास प्रमाण है कि आतंकवाद ने कभी स्थायी या सकारात्मक परिणाम नहीं दिए। यह सस्ती लोकप्रियता पाने का एक विध्वंसक आडंबर मात्र है।
यह भ्रम भी है कि कोई आतंकवादी स्वतंत्रता सेनानी हो सकता है। कोई भी धार्मिक, वैचारिक या राजनीतिक कारण आतंकवाद को सही नहीं ठहरा सकता। आतंकवाद की कोख से क्रांति नहीं, बल्कि घृणा, बर्बादी और हताशा जन्म लेती है। किसी भी मानवीय उद्देश्य को खून-खराबे और हिंसा के बल पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
हमारी चुनौतियों में प्राकृतिक आपदाएं और महामारियाँ भी थीं, जो समय के साथ समाप्त हो गईं। लेकिन आतंकवाद एक ऐसी महामारी है जो स्वयं खत्म नहीं होगी। इसे समाप्त करने के लिए ठोस और संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं। भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में विश्व के समक्ष मिसाल पेश की है।
पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद भारत दशकों से झेल रहा है। हाल के पहलगाम हमले में निर्दोष पर्यटकों को केवल धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया। यह कायरतापूर्ण प्रयास भारत की एकता को तोड़ने और डर फैलाने का हिस्सा था, जो हमेशा विफल रहेगा। कोई भी धर्म निर्दोषों की हत्या को जायज नहीं ठहरा सकता। आतंकवादी केवल धर्म का नाम लेकर अपने अपराधों को वैधता देने की कोशिश करते हैं। अब हमारी नीति है कि आतंकवादियों को जहां भी मिले, समाप्त करने से पीछे नहीं हटेंगे। साथ ही, आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली सरकारों को भी बख्शा नहीं जाएगा।
भारत अब केवल प्रतिक्रिया करने वाला देश नहीं रहा। हमारी नीति में मूलभूत बदलाव आया है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक और 2025 का ऑपरेशन सिंदूर इस नीति के उदाहरण हैं। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवादी जहां भी होंगे, उन्हें समाप्त किया जाएगा, चाहे वे किसी भी संगठन या राज्य के समर्थक हों।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन में कहा, “हम एक भी हमले को कई हमलों के समान मानते हैं। एक जनहानि भी अनेक जनहानियों के बराबर है। जब तक आतंकवाद का समूल नाश नहीं होगा, भारत शांत नहीं बैठेगा।” यह बयान भारत की नीति की गंभीरता को दर्शाता है। ऑपरेशन सिंदूर ने यह भी साबित किया कि भारत आतंकवाद के पूर्ण उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है।

हालांकि आतंकवादियों के सफाए के साथ उनके आर्थिक, वैचारिक और राजनीतिक समर्थन नेटवर्क को भी ध्वस्त करना होगा। जब तक यह संरचना नहीं टूटेगी, आतंकवाद वापस उभरता रहेगा। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उन राष्ट्रों का भी खुलासा किया है जो आतंकवाद को रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जिनमें पाकिस्तान प्रमुख है। पाकिस्तान के आतंकवाद प्रायोजन के कारण भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित कर स्पष्ट संदेश दिया कि इसे कोई कूटनीतिक या आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा।
आतंकवाद केवल एक देश की समस्या नहीं, बल्कि वैश्विक संकट है। यह न धर्म देखता है, न भाषा, न सीमा। वैश्विक समुदाय को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होना होगा। इस लड़ाई में पहला कदम आतंकवाद की सर्वमान्य परिभाषा तय करना है, जिससे जांच, कार्रवाई और प्रत्यर्पण में आसानी हो।
सिर्फ आतंकी संगठनों को निशाना बनाना पर्याप्त नहीं। उन देशों की आर्थिक प्रणाली को भी प्रभावित करना होगा, जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं। पाकिस्तान को बार-बार आर्थिक सहायता देना वैश्विक मूल्यों का उल्लंघन है। इसलिए इसे IMF और FATF जैसे संस्थानों द्वारा सख्ती से नियंत्रित करना चाहिए।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान में राज्य और गैर-राज्य आतंकवादी एजेंटों में कोई अंतर नहीं है। यह देश आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का आश्वासन देने में भ्रामक है। इसके अलावा, पाकिस्तान में परमाणु हथियारों की सुरक्षा का खतरा मानवता के लिए गंभीर संकट है, जिसे अंतरराष्ट्रीय निगरानी में लाना आवश्यक है।
प्रॉक्सी युद्ध की चुनौती भी गंभीर है। कुछ देश अपने मित्र राष्ट्रों की आड़ में पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाते हैं। आतंकवादी हमलों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पक्षपाती नहीं होनी चाहिए, अन्यथा आतंकवाद को वैधता मिलती है।
तकनीकी प्रगति जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और नैनोटेक्नोलॉजी आतंकवाद की वैश्विक पहुंच बढ़ा रही हैं। वैश्विक सहयोग के बिना इससे निपटना संभव नहीं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि आतंकवाद के लिए किसी भी औचित्य को अस्वीकार करना होगा। हर देश की सुरक्षा में विश्व के कल्याण की भावना होनी चाहिए। यही विचार हमें एकजुट कर सकता है।
भारत आतंकवाद के सभी स्वरूपों को समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। हम विश्व के शांतिप्रिय राष्ट्रों से आह्वान करते हैं कि वे राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर इस संघर्ष में साथ आएं। आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, शांत और स्थिर विश्व की रचना हम सभी की जिम्मेदारी है।