वाराणसी
गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रतिदिन करनी पड़ेगी साधना : प्रो. प्रेमचंद्र
संरक्षण के बिना विकसित नहीं हो सकती कला : प्रो. प्रेमचंद
जीवनदीप महाविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जलरंग कार्यशाला शुरू
वाराणसी। बड़ा लालपुर स्थित जीवनदीप महाविद्यालय परिसर में शुक्रवार को काशिका वर्किंग आर्टिस्ट ग्रुप के सानिध्य में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जलरंग कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ। अध्यक्षता कर रही जीवनदीप शिक्षण समूह की चेयरमैन डॉ. अंशु सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. प्रेमचंद्र विश्वकर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि, “कला एक ऐसा क्षेत्र है, जो संरक्षण के बिना विकसित नहीं हो सकती। अपने गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रतिदिन साधना करनी पड़ती है।”
मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने अपने संबोधन में बताया कि, “जलरंग सबसे कठिन और सारपूर्ण रंग विधि है, यह एक ऐसी विधि है जिसमें गलती का कोई स्थान नहीं है।”
इस दौरान बीएचयू चित्रकला विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. एस. प्रणाम सिंह ने कहा कि, “तकनीकी तौर पर जल रंग का एक-दूसरे में मिश्रण किया जाता है। ये रंग एक-दूसरे के अगल-बगल भी रखे जाते हैं और एक-दूसरे के ऊपर भी इन्हें लगाया जाता है। जल रंगों को पारदर्शी भी बनाया जा सकता है। ये रंग जल्दी सूख जाते हैं, जिससे काम भी जल्दी हो जाता है।”
कार्यक्रम के संयोजक काशिका वर्किंग आर्टिस्ट ग्रुप के संयोजक डॉ. ओम प्रकाश गुप्ता व सह संयोजक महाविद्यालय की प्रवक्ता प्रार्थना सिंह रहीं। धन्यवाद ज्ञापन जीवनदीप महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. इंद्रेश चंद्र सिंह ने दिया। संचालन ललित कला विभाग की छात्रा युक्ता शर्मा और इशिता ने किया।
इस दौरान महाविद्यालय के संबद्धता निदेशक शैलेश त्रिवेदी, उप प्राचार्य डॉ. नंदा द्विवेदी, डॉ. अमित सिंह, ललित कला विभाग से विभागाध्यक्ष डॉ. दल सिंगार प्रजापति, डॉ. संजय सिंह, राजेश कुमार, अंशु कुमारी के अलावा सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं कर्मचारी मौजूद रहें।