वाराणसी
जल संरक्षण के लिए तालाब की आवश्यकता : महंत गोविंद दास शास्त्री
वाराणसी । IIT. BHU में आयोजित वाटर अर्बनिज्म फोर रेजिलिएंट डेवलपमेन्ट केस स्टडी का तीन दिवसीय आयोजन किया गया था जिसके प्रथम दिवस मे सेमिनार के बाद केस स्टडी के लिये संत कबीर दास जी का प्राकट्य स्थली लहरतारा का दर्शन एवं भ्रमण किया जिनमे संत कबीर दास जी की ताल के वैदिक पद्धति द्वारा जल को शुद्ध किया गया इसकी सभी लोगों ने जाना एवं परखा कबीर प्राकट्य स्थली के महंत ने सभी को कबीर साहब की जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला और उसके बाद लहरतारा सरोवर का भ्रमण कराया और लहरतारा ताल के पानी की स्थिति के बारे भी बताया कि पानी पहले से काफी स्वच्छ है


इसे और भी बेहतर बनाया जा सकता है। जल संरक्षण के लिऐ लहरतारा तालाब की संरक्षण भी बहुत जरूरी है। पहले यह तालाब 17 एकड़ फैला था जो कि सिमटकर केवल दो एकड मे रह गया है। कई एकड़ में अभी भी अवैध रूप से प्लाटिंग हो रही है जिसे रोक कर विकास करने के लिए सरकार से बातचीत चल रही है,क्योंकि जल हि जीवन है यदि जल नही होगा हमारा जीवन असंभव है इस लिए जल संरक्षण अत्यन्त आवश्यक है। यह लहरतारा तालाब पूरे क्षेत्र के लिए जल स्त्रोत का कार्य करता है। इसलिए इस तालाब का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। इस कार्यक्रम के प्रमुख रूप से प्रो. चन्दन घोष, प्रो० देवेन्द्र मोहन आईआईटी बी एच यू वैदिक सीजन फाउंडेशन एनओसी फाउंडेशन से मधुकर,शैलेश बरनवाल, पंकज सिंह, विशाल चटर्जी, निलेश दास, दयाल दास आदि प्रमुख रुप से मौजूद थे।
