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चन्दौली

लोकल फॉर वोकल की प्रेरणा हैं अहिल्याबाई : डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय

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चंदौली। भारतीय जनता पार्टी की बैठक नगर पालिका इंटर कॉलेज में आयोजित की गई। इस दौरान लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर जी की 300वीं जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि देवी अहिल्याबाई ने किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता दी और सिंचाई के लिए नहरों, तालाबों व जलाशयों का निर्माण कराया। उन्होंने कृषि करों में राहत देकर तथा डाकुओं से किसानों की संपत्ति की रक्षा कर उनका आर्थिक बोझ कम किया। उनकी नीतियों ने किसानों में कृषि के प्रति उत्साह जगाया। देवी अहिल्याबाई ने कृषि प्रदर्शनियों का आयोजन करवाया, जहां किसान नई तकनीकों से परिचित हुए। विशेषज्ञों के माध्यम से प्रशिक्षण देकर फल व सब्जी उत्पादन को प्रोत्साहन दिया गया, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई। उनकी नीतियां आज की “लोकल” अवधारणा की प्रेरणा बनती हैं।

डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि 1767 में अहिल्याबाई ने महेश्वर में हथकरघा आधारित कुटीर उद्योग स्थापित किया। गुजरात और अन्य क्षेत्रों से बुनकरों को बुलाकर उन्हें घर और व्यापार की सुविधा दी। पहले सूती साड़ियों का उत्पादन होता था, बाद में रेशमी और ज़री की साड़ियों का निर्माण भी शुरू हुआ। किले की दीवारों से प्रेरित डिज़ाइनों ने माहेश्वरी साड़ियों को विशिष्ट पहचान दी।

किसानों को उनकी उपज के उचित मूल्य दिलाने हेतु कर्ज माफी और बाजार व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिला और व्यापार में वृद्धि हुई।

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महारानी अहिल्याबाई ने महिलाओं की मान-सम्मान को बढ़ाने के उद्देश्य से नारी शिक्षा पर विशेष जोर दिया। इससे पहले महिलाएं केवल घरों में ही थोड़ी-बहुत पढ़ाई किया करती थीं।

मुख्य वक्ता शारदा खरवार ने कहा कि अहिल्याबाई ने विधवा महिलाओं को यह अधिकार दिया कि वे पति द्वारा छोड़ी गई संपत्ति की उत्तराधिकारी होंगी और अपनी इच्छा के अनुसार उसका उपयोग कर सकेंगी। उन्हें महिला सशक्तिकरण का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने महिलाओं की एक सेना गठित की, जिन्हें हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया और युद्ध की तकनीक सिखाई गई।

जिलाध्यक्ष काशीनाथ सिंह ने कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने अपने राज्य क्षेत्र में दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के उद्धार के लिए अनेक कार्य किए। उस कालखंड में छुआछूत का सामना कर रहे दलितों के उत्थान के साथ-साथ उन्होंने बनवासी समाज को जंगल छोड़कर गांवों में बसने और किसान के रूप में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

इस अवसर पर पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल सिंह, सर्वेश कुशवाहा, अभिमन्यु सिंह, शिवशंकर पटेल, सुजीत जायसवाल, हरिवंश उपाध्यक्ष, शिवराज सिंह, आलोक सिंह, रविंद्र गौड़, बुद्धिलाल विश्वकर्मा, ज्योति जायसवाल, किरण शर्मा, कुंदन सिंह, आशुतोष सिंह, रंजन शाह, राजेश सिंह, अनिल तिवारी, रीना तिवारी, सुनील श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।

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