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वाराणसी

रिश्वत के बाद भी जिंदा बुजुर्ग को मृत दिखाकर रोकी पेंशन, दो अफसरों पर एफआईआर

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वाराणसी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां समाज कल्याण विभाग के अफसरों पर रिश्वत के बावजूद जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित कर पेंशन रोकने का आरोप लगा है। यह मामला राजातालाब थाना क्षेत्र का है, जहां कोर्ट के आदेश पर एडीओ समाज कल्याण प्रमोद पटेल और ग्राम विकास अधिकारी अंजनी सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।

पीड़ित दुर्गा प्रसाद पाण्डेय, जो कि राजातालाब क्षेत्र के निवासी हैं, उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत आवास के लिए आवेदन किया था। सत्यापन के समय तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी अंजनी सिंह ने 20 हजार रुपये की रिश्वत ली, लेकिन इसके बावजूद और 10 हजार की मांग करता रहा। जब दुर्गा प्रसाद ने अतिरिक्त पैसे देने से मना किया तो उन्हें धमकियां दी गईं और बाद में शिकायत करने पर बदले की कार्रवाई शुरू हो गई।

दुर्गा प्रसाद को तो आवास का लाभ मिला, लेकिन उनके लिए एक नई परेशानी खड़ी हो गई। उन्हें समाज कल्याण विभाग द्वारा वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी, जो अक्टूबर 2024 से अचानक बंद हो गई। जब वे बैंक पहुंचे तो पता चला कि उन्हें विभाग द्वारा कागजों में मृत घोषित कर दिया गया है।

इस अपमानजनक और अमानवीय व्यवहार के खिलाफ उन्होंने विभाग और पुलिस के चक्कर काटे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। थक-हारकर दुर्गा प्रसाद ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने पूरी सुनवाई के बाद दोनों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। राजातालाब पुलिस ने बीएनएस की धाराओं 198, 201, 337, 336(3), 340(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराएं 7 और 3 के तहत मामला दर्ज किया है।

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यह घटना सिर्फ एक बुजुर्ग की नहीं, बल्कि उस तंत्र की पोल खोलती है जहां रिश्वत के बावजूद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता और सिस्टम उन्हें मृत मान लेता है। अब देखना यह है कि इस गंभीर मामले में दोषियों को कब तक सज़ा मिलती है और क्या व्यवस्था में कोई सुधार आता है।

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