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वाराणसी

बनारस की गलियों में घूमीं प्रीति जिंटा, बोलीं – “काशी की ऊर्जा अद्भुत”

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बिना वीआईपी प्रोटोकॉल मां के साथ किया बाबा विश्वनाथ के दर्शन

वाराणसी। बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति जिंटा ने अपनी मां के साथ वाराणसी की धार्मिक यात्रा की और बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। इस यात्रा की झलक उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा की, जिसमें उन्होंने बिना किसी विशेष प्रोटोकॉल के आम श्रद्धालुओं की तरह काशी की गलियों में घूमने और रिक्शा से मंदिर तक पहुंचने का अनुभव बताया।


प्रीति जिंटा ने बताया कि उनकी मां शिवरात्रि के अवसर पर वाराणसी में महाकुंभ यात्रा समाप्त करना चाहती थीं। इसी वजह से वे प्रयागराज से वाराणसी पहुंचीं और यहां की ऐतिहासिक गलियों और आध्यात्मिक माहौल का अनुभव किया। उन्होंने लिखा, “जब हम वाराणसी पहुंचे, तो भीड़ बहुत ज्यादा थी और एक पॉइंट के बाद कारों की अनुमति नहीं थी। इस कारण हमें ऑटो और रिक्शा से मंदिर तक जाना पड़ा।”

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प्रीति ने बताया कि यह सफर उनके लिए बेहद खास रहा। उन्होंने कार से ऑटो, फिर रिक्शा और फिर पैदल चलकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचने का सफर तय किया। इस दौरान वे आम श्रद्धालुओं की तरह भीड़ का हिस्सा बनीं और बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए।

उन्होंने लिखा, “भले ही यात्रा में घंटों लग गए, लेकिन हमें कभी भी कोई परेशानी महसूस नहीं हुई। यहां की सकारात्मक ऊर्जा और श्रद्धालुओं की आस्था से माहौल अद्भुत लग रहा था।”

अभिनेत्री ने इस यात्रा को अपनी मां के लिए बेहद खास बताया और कहा कि माता-पिता की खुशी ही सबसे बड़ी सेवा है। उन्होंने लिखा, “मैंने अपनी मां को इतना खुश पहले कभी नहीं देखा। वे पूरी यात्रा के दौरान चमक रही थीं। तब मुझे एहसास हुआ कि सबसे बड़ी सेवा भगवान के प्रति नहीं, बल्कि अपने माता-पिता के प्रति होती है। हमें माता-पिता का महत्व तब समझ में आता है जब हम खुद माता-पिता बनते हैं। “

इससे पहले, प्रीति जिंटा ने प्रयागराज में संगम स्नान भी किया। उन्होंने महाकुंभ का अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह उनके जीवन का तीसरा मौका था जब वे इस पवित्र अवसर का हिस्सा बनीं।

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उन्होंने लिखा, “कुंभ मेले में आना जादुई और दिल को छू लेने वाला अनुभव था। जादुई इसलिए क्योंकि यह भावना शब्दों में बयां नहीं की जा सकती, और दिल को छूने वाला इसलिए क्योंकि मैं अपनी मां के साथ थी, जिनके लिए यह यात्रा किसी सपने से कम नहीं थी।”

महाकुंभ के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने जीवन और मृत्यु के चक्र पर गहरी बात कही। उन्होंने लिखा, “इस यात्रा ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या मैं अपने परिवार, अपने बच्चों और अपने प्रियजनों को छोड़ने के लिए तैयार हूं? जवाब था – नहीं, मैं तैयार नहीं हूं। यह एहसास दिल को झकझोर देने वाला था कि हमारी आसक्तियां कितनी मजबूत और शक्तिशाली हैं। लेकिन अंततः हमारी आध्यात्मिक यात्रा हमें अकेले ही तय करनी होती है।”

प्रीति जिंटा की यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक भी रही। उन्होंने मां के साथ काशी की गलियों में घूमने, भीड़ में चलने और आधी रात की आरती में शामिल होने जैसे पलों को बेहद खास बताया।

उन्होंने कहा, “यह यात्रा मेरे लिए सिर्फ तीर्थ नहीं, बल्कि एक आत्मिक अनुभव था। इसने मुझे जीवन की सच्चाई और रिश्तों की अहमियत का अहसास कराया।”

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