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वाराणसी

जनपद में एक सितंबर से घर-घर खोजे जाएंगे कुष्ठ रोगी

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पूरे माह चलेगा कुष्ठ रोगी खोज व नियमित निगरानी अभियान

142 गांव और नगर के 10 वार्ड में घर-घर जाएंगी स्वास्थ्य विभाग की टीम

कुष्ठ रोग नहीं है छुआछूत की बीमारी, कुष्ठ रोगियों से न करें भेदभाव – सीएमओ

रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी: राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के उद्देश्य से एक सितंबर से पूरे माह सघन कुष्ठ रोगी खोज एवं नियमित निगरानी अभियान चलाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर संभावित कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित करेंगे। उनकी पहचान कर तत्काल प्रभाव से उपचार पर रखा जाएगा। साथ ही कुष्ठ रोग के बारे में समुदाय को जागरूक भी करेंगे। अभियान के तहत बुधवार को डीडीयू चिकित्सालय के जिला कुष्ठ अधिकारी सभागार में चिकित्सा अधिकारियों, एनएमए, एनएमएस, हेल्थ एजुकेटर को प्रशिक्षण दिया गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि कुष्ठ रोग छुआछूत की बीमारी नहीं है। कुष्ठ रोगियों से भेदभाव न करें। यह आम रोगों की तरह ही है, जो मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) से ठीक हो जाता है। लेकिन समय पर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी बड़ा रूप भी ले सकती है। इसी उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों को खोजने का काम करेंगी। क्षेत्रवासी स्वास्थ्य विभाग की टीम का सहयोग करें।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी (डीएलओ) डॉ राहुल सिंह ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देशन में कुष्ठ रोगी खोज व नियमित निगरानी अभियान एक से 30 सितंबर तक चलेगा। यह अभियान उन ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में संचालित किया जाएगा, जहां पिछले तीन सालों में कुष्ठ के रोगी पाये गए हैं। जनपद में ऐसे ही 152 क्षेत्र हैं जहां पिछले तीन सालों में कुष्ठ के रोगी खोजे गए। इसमें विभिन्न ब्लाक के 142 गाँव और नगर के 10 वार्ड शामिल हैं। अभियान के लिए 152 टीम तैयार की गई हैं। एक टीम में एक आशा कार्यकर्ता और पुरुष कार्यकर्ता शामिल है। टीम घर-घर जाकर सर्वे करेंगी व कुष्ठ रोग के लक्षण वाले लोगों की सूची तैयार करेंगी।
डॉ राहुल ने बताया कि कुष्ठ रोग हवा में मौजूद लेप्रे बैक्टीरिया के जरिए फैलता है। हवा में यह बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। यह एक संक्रामक रोग है। यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है। अगर आप इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाएंगे या उसे छू लेंगे, तो आपको यह बीमारी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग मुख्य रूप से चमड़ी एवं तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और कुछ वर्षों में लोगों को पूरी तरह से कुष्ठ रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं। यदि शुरुआत में ही रोग का पता चल जाए और उसका समय से उपचार शुरू कर दिया जाए तो रोगी को दिव्यांगता से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि घर-घर जाने वाली टीम के द्वारा इन लक्षणों के आधार पर कुष्ठ रोगी की पहचान की जाएगी जो इस प्रकार हैं-

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  • त्वचा के रंग मे कोई भी परिवर्तन (त्वचा पर लाल रंग या फीके रंग का धब्बा) साथ ही उसमें पूर्ण रूप से सुन्नपन अथवा सुन्नपन का अहसास होता है।
  • चमकीली व तैलीय त्वचा।
  • कर्ण पल्लव का मोटा होना कर्ण पल्लव पर गांठें/त्वचा पर गांठें
  • नेत्रों को बंद करने में दिक्कत या उससे पानी आना |
  • भौहों का खत्म होना।
  • हाथों में घाव या दर्द रहित घाव अथवा हथेली पर छाले
  • कमीज या जैकेट के बटन बंद करने में असमर्थता।
  • हाथ या पैर की उंगलियाँ मुड़ तो नहीं गई है।
  • फुट ड्रॉप अथवा चलते समय पैर घिसटते तो नहीं हैं।

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