वाराणसी
सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की दो याचिकाओं पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी से जुड़ी दो महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुनवाई हुई। हिंदू पक्ष ने आज 22 नवंबर को एक नई याचिका दाखिल की जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी में सीलबंद वजूखाने के क्षेत्र का ASI सर्वे कराने की मांग की। हिंदू पक्ष का कहना है कि यहां एक ठोस संरचना मिली थी जिसे वे शिवलिंग मानते हैं।
उनका तर्क है कि बाकी ज्ञानवापी परिसर की तरह इस सीलबंद क्षेत्र का भी सर्वे जरूरी है ताकि वहां मंदिर की मौजूदगी के और सबूत मिल सकें। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को नोटिस भेजा है और 15 दिन में जवाब दाखिल करने को कहा है।
साथ ही हिंदू पक्ष ने एक और याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी से जुड़े सभी 15 मामलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर एक साथ सुनवाई की मांग की थी। इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी किया और दो हफ्ते में जवाब देने को कहा।
ये मुकदमे वाराणसी की अदालतों में चल रहे हैं और याचिकाकर्ताओं का मानना है कि इन मामलों में कानून के महत्वपूर्ण सवाल हैं जिनका निपटारा बड़ी अदालतों में ही होना चाहिए। ज्ञानवापी का विवाद कई दशकों पुराना है।
1991 में पहली बार इस मुद्दे ने राष्ट्रीय सुर्खियों में जगह बनाई थी जब वाराणसी के पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में ज्ञानवापी को काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा मानते हुए वहां दर्शन-पूजन की अनुमति की मांग की गई थी।
इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे कराने का आदेश दिया गया था लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस पर हाईकोर्ट में स्टे लगा दिया था। 2021 में 5 महिलाओं ने फिर याचिका दाखिल की जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी थी।
इसके बाद कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया और 2022 में एक ठोस संरचना की खोज की गई जिसे हिंदू पक्ष ने शिवलिंग बताया।इस मामले में मुस्लिम पक्ष का विरोध सर्वे और वीडियोग्राफी पर है जबकि हिंदू पक्ष इसे मंदिर की मौजूदगी साबित करने का एक तरीका मानता है। अब सुप्रीम कोर्ट के 17 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई में इन मामलों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है।