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वाराणसी

खेल कोच भुखमरी के कगार पर

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रिपोर्ट – सुभाष चंद्र सिंह

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की हालत यह है कि यहां पर क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी का पद एक जुलाई से रिक्त है। 30 जून को क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आरपी सिंह ने अवकाश ग्रहण किया, तब से यहां पर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। उप क्रीड़ा अधिकारी के पास चार्ज है। हालात यहां है कि खेलो इंडिया के कोच व खेल विभाग के अंशकालिक मानदेय कोचों का बजट तो आ गया है लेकिन आहरण अधिकारी के न होने से कई महीनों का वेतन नहीं मिल रहा है।

एक कोच ने नाम न छापने की दशा में बताया कि उसको तीन महीने से मानदेय नहीं मिला है। उसके बच्चे को स्कूल प्रबंधन ने फीस जमा न होने के कारण स्कूल से नाम काट दिया है। वहीं कुछ कोचों का कहना है कि दुकानदारों ने अब घरेलू सामान देने से इंकार कर दिया है। जिससे उनके घरों में फाके की नौबत आ गई है। वही एक तरह सरकार खेलों के बढ़वा देने का दावा कर रही है, वही जमीनी हकीकत बिल्कुल उल्टी है। वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर और वाराणसी के जिले आते हैं।       

मालूम हो कि, प्रदेश सरकार हर साल 11 महीने के लिए अंशकालिक मानदेय कोच नियुक्त करती है। वहीं भारत सरकार खेलों इंडिया योजना के तहत एक जनपद एक खेल योजना संचालित करती है। वाराणसी में डॉ भीमराव आंबेडकर क्रीड़ा संकुल, बड़ा लालपुर में कुश्ती का शिविर संचालित होता है। वहा के कोच को तीन महीने से मानदेय नहीं मिला है।      

जब कोच ही भूखा रहेगा तो वह कैसे प्रशिक्षण देगा। जबकि वर्ष 2024-25 का खेल कैलेंडर जारी हो गया है। ऐसी स्थिति में वाराणसी मंडल के खिलाड़ियों का क्या होगा यह बताने वाला कोई नहीं है।वर्तमान समय में पेरिस ओलंपिक भी चल रहे हैं, इसमें वाराणसी मंडल के दो खिलाड़ी भारतीय हॉकी टीम में हैं। ललित कुमार उपाध्याय वाराणसी के और राजकुमार पाल गाजीपुर के निवासी हैं। उच्च स्तर पर खिलाड़ियों को बहुत सुविधा उपलब्ध हैं लेकिन सब जूनियर और जूनियर स्तर पर खिलाड़ियों को बहुत कम सुविधा मिलती है। ऐसे मे कोच भी नहीं रहेंगे तो खेल का भला कैसे होगा। यह बताने वाला कोई नहीं है।

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