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वाराणसी

फाइलेरिया उन्मूलन के तहत चोलापुर के सीएचओ को मिला प्रशिक्षण

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हाथीपांव ग्रसित 15 मरीजों को प्रदान की गई एमएमडीपी किट

साफ-सफाई रखने से नहीं आएगी पैरों में दिव्यांग्ता, मिलेगा आराम

वाराणसी। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले के सभी आयुष्मान भारत – हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को सुदृढ़ किया जा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को चोलापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) को प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही फाइलेरिया हाथीपांव के 15 मरीजों को रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांग्ता रोकथाम (एमएमडीपी) किट प्रदान की गई और साफ-सफाई रखने के बारे में सिखाया गया।
यह कार्यक्रम मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी के निर्देशन में आयोजित हुआ । इस मौके पर एसीएमओ व ब्लॉक सीएचसी नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया, अधीक्षक डॉ आरबी यादव, जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पाण्डेय व पाथ से डॉ सरीन कुमार ने सभी 20 सीएचओ व एएनएम को फाइलेरिया (हाथ-पैरों में सूजन और अंडकोषों में सूजन) के कारण, लक्षण, पहचान, जांच, उपचार व बचाव आदि के बारे में विस्तार से बताया। फाइलेरिया (हाथीपांव) की सभी ग्रेडिंग (हाथ-पैरों में सूजन व घाव की स्थिति) के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) और एमएमडीपी किट को हाथीपांव ग्रसित रोगियों के उपयोग के बारे में बताया। सीएचओ से कहा गया कि वह हर माह की 15 तारीख को मनाए जाने वाले एकीकृत निक्षय दिवस पर फाइलेरिया और कालाजार रोगियों की जानकारी ई-कवच पोर्टल पर अनिवार्य रूप से फीड करें। इसके अलावा अन्य वेक्टर जनित रोगों के बारे में भी प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में पाथ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था ने सहयोग किया। इसके अलावा चौकाघाट स्थित आईएडी फाइलेरिया एकीकृत उपचार केंद्र की प्रज्ञा त्रिपाठी व उनकी टीम ने केंद्र में मौजूद उपचार संबंधी सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।
डीएमओ एससी पाण्डेय ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत सीएचओ को फाइलेरिया और कालाजार के मरीजों को खोजने की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने नाइट ब्लड सर्वे के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। पिछले 15 दिनों में जिले के सभी 220 सीएचओ को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसके संक्रमण से लिम्फोडिमा (हाथ, पैरों और स्तन में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोषों में सूजन) रोग होता है। यह न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इस कारण मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। शुरू में डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन किया जाए तो बीमारी को बढ़ने से रोक सकते हैं। फाइलेरिया प्रभावित अंगों की साफ-सफाई और दवा का सेवन नियमित रूप से करना जरूरी है। इससे दिव्यांग्ता की संभावनाएं कम हो जाती है। सीफार संस्था के सहयोग से बनाए जा रहे फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्य समुदाय को जागरूक कर फाइलेरिया से जुड़े मिथक व भ्रांतियों को दूर कर रहे हैं।
सीएचओ अंकित शरण व खुशबू ने बताया कि प्रशिक्षण में फाइलेरिया प्रभावित अंगों के रुग्णता प्रबंधन और अच्छी तरह से साफ-सफाई के बारे में बताया गया। इसके साथ ही फाइलेरिया रोग के विस्तृत जानकारी दी गई जो मरीजों की स्क्रीनिंग में काफी मददगार साबित होगी। इस अवसर पर पाथ से डॉ सरीन कुमार, सीफार से सुबोध दीक्षित, मलेरिया निरीक्षक अजय सिंह, दुर्गेश, राजकुमार, त्रिपुरारी एवं अन्य अधिकारी व स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

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