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वाराणसी

वाराणसी में गंगा उफान पर, दशाश्वमेध घाट पर जल पुलिस बूथ डूबा

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वरुणा नदी का पानी भी उफना, किसानों की सब्जियां और फसलें डूबीं

वाराणसी। गंगा नदी का जलस्तर एक बार फिर वाराणसी के लिए खतरा बन गया है। दशाश्वमेध घाट पर बने जल पुलिस बूथ और गंगा मंदिर तक पानी पहुंच गया है। पुलिसकर्मी सामान हटाकर सुरक्षित स्थानों पर ले गए हैं। मणिकर्णिका घाट की गलियों में पानी भरने से दुकानें बंद हो गई हैं और शवों को अंतिम स्नान कराने के लिए नाव का सहारा लिया जा रहा है। घाट की सीढ़ियों पर शवों की कतारें लगने लगी हैं और छत पर शवदाह किया जा रहा है।

पुराने अस्सी घाट की गलियों में भी बाढ़ का पानी बहने लगा है जबकि नए अस्सी घाट पर ‘सुबह-ए-बनारस’ का मंच डूब चुका है। सड़क तक पानी पहुंचने के लिए मात्र आठ सीढ़ियां बची हैं। सामने घाट के पास निर्माणाधीन भाग का गुंबद भी पानी में डूब गया है और जज हाउस की सीढ़ियों के ऊपर से पानी बहने लगा है।

हरिश्चंद्र घाट पर पहले से ही गलियों में शवदाह किया जा रहा है। प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए आश्रय स्थल तैयार करने शुरू कर दिए हैं। गुरुवार रात आठ बजे गंगा का जलस्तर 68.71 मीटर था, जो शुक्रवार सुबह आठ बजे तक 69.20 मीटर और शाम चार बजे तक 69.54 मीटर पहुंच गया। वर्तमान में पानी पांच सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रहा है।

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वरुणा नदी के जुड़े नालों के किनारे बाढ़ग्रस्त इलाकों में पानी में गंदगी और दुर्गंध ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। सलारपुर, पुलकोहना, दनीयलपुर के मकानों में पानी भर चुका है। ढाब क्षेत्र के मोकलपुर, गोबरहां, रामपुर, रामचंदीपुर, मुस्तफाबाद रेता पर किसानों की लौकी, नेनुआ, करैला, परवल और कोहड़ा जैसी सब्जियों की फसलें डूब गई हैं। मुस्तफाबाद रेता के अंत्येष्टि स्थल तक जाने वाला मार्ग पूरी तरह जलमग्न है। उपजिलाधिकारी सदर ने बताया कि प्रभावित गांवों में राजस्व विभाग की टीमें पहुंच रही हैं और रामपुर प्राथमिक विद्यालय में आश्रय स्थल तैयार किया गया है।

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