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गाजीपुर

मोहर्रम की रस्मों में जुटे लोग

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ताजिए, दुलदुल और जुलूस की तैयारियाँ जोरों पर

मोहम्मदाबाद (गाजीपुर)। इस्लामी साल का पहला महीना मोहर्रम शुरू होने वाला है और इसकी तैयारियों को लेकर गाज़ीपुर जनपद के मोहम्मदाबाद नगर और यूसुफ़पुर क़स्बे में लोगों में ख़ास उत्साह देखने को मिल रहा है। मोहल्लों में बच्चे, युवा और बुज़ुर्ग मिलकर ताजिया सजाने, नौहे पढ़ने और मातम की तैयारी कर रहे हैं। गली-कूचों में लकड़ी के खेल की भी तैयारियाँ चल रही हैं। हर उम्र के लोग अपने-अपने अंदाज़ में इस मौके को श्रद्धा और भक्ति से मना रहे हैं।

मोहर्रम की पहली तारीख से ही मोहम्मदाबाद के ताजिया चौक पर बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और पुरुष जुटकर कर्बला के शहीदों की याद में दीप जलाकर दुआ करते हैं। हर रोज़ सैकड़ों की संख्या में लोग वहाँ पहुँचकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।

इस बार भी मोहम्मदाबाद और यूसुफ़पुर में मोहर्रम के मौके पर ख़ास कार्यक्रम रखे गए हैं। तीन मोहर्रम को यूसुफ़पुर दर्जी मोहल्ला में ताजिया चौकी उठाई जाएगी। चार तारीख को मोहम्मदाबाद के ज़फरपुरा मोहल्ले में इमाम हुसैन की सवारी ‘दुलदुल’ निकाली जाएगी। पाँच तारीख को फिर यूसुफ़पुर में ताजिया चौकी उठेगी। छह तारीख को मोहम्मदाबाद की जामा मस्जिद में ताजिए का आयोजन होगा। सात तारीख को यूसुफ़पुर में ताजिए का जुलूस निकलेगा। आठ तारीख को मोहम्मदाबाद के ज़फरपुरा और जामा मस्जिद इलाक़े में ताजिए का आयोजन होगा। इसके बाद नौ और दस मोहर्रम को यूसुफ़पुर और मोहम्मदाबाद के कई इलाकों में बड़े जुलूस निकाले जाएँगे।

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इन जुलूसों में ढोल-नगाड़े बजते हैं, लोग ग़म में सीना पीटते हैं, और इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद किया जाता है। बच्चे, बुज़ुर्ग और नौजवान इस माह के लिए पूरे दिल से जुटे रहते हैं।

कर्बला की घटना आज भी हर इंसान के दिल को छूती है। इमाम हुसैन ने अन्याय और अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और अपनी कुर्बानी देकर इंसानियत और सच्चाई का रास्ता दिखाया। मोहर्रम में हर साल इसी याद को ताज़ा किया जाता है। जगह-जगह ताजिया सजाए जाते हैं, लोग एक-दूसरे से मेल-मुलाकात करते हैं और मोहब्बत व भाईचारे का पैग़ाम देते हैं।

मोहल्लों में नौजवान लकड़ी का खेल, झाँकी और ताजिया सजावट में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। रात-दिन तैयारियाँ चल रही हैं। इस दौरान लोग अपने-अपने तरीक़े से ग़म जताते हैं और कुर्बानी की याद करते हैं।

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