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जिले के उच्चाधिकारियों व संस्थाओं द्वारा गोद लिए 957 टीबी ग्रसित बच्चे हुए स्वस्थ

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वाराणसी: प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कुछ दिवस पूर्व जनपद में टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लिए जाने की पहल की समीक्षा की थी। इस दौरान उन्होने उच्च अधिकारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ) से टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लेने की अपील भी की थी, जिसका असर जनपद में स्पष्ट दिख रहा है। जनपद में करीब नौ स्वयंसेवी संस्थाओं व चार विश्वविद्यालयों के कुलपति द्वारा गोद लिए 18 वर्ष तक के बच्चे अब टीबी को मात देकर स्वस्थ हो रहे हैं।

देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त बनाने की दिशा में वाराणसी का यह महत्वपूर्ण कदम है। जिले की स्वयं सेवी संस्थाए जैसे ट्राइ टु फाइट फ़ाउंडेशन, महिला बाल विकास समिति, इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन, नागरिक सुरक्षा, रोटरी क्लब, आईएमए, रेड क्रॉस, लायन्स क्लब व मारवाड़ी युवा मंच के माध्यम से वर्ष 2019 से अब तक 1100 से अधिक टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लिया गया, जिसमें से 950 से अधिक बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने को लेकर प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने में वाराणसी जनपद तत्परता से आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही प्रदेश की राज्यपाल के टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लेने की पहल पर निरंतर अच्छा कार्य हो रहा है। सीएमओ ने कहा कि छोटी उम्र में टीबी हो जाना बहुत बड़ी समस्या बन जाती है जिससे बच्चे के मानसिक और सामाजिक विकास पर गहरा असर पड़ता है। इससे निजात दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग, जिला क्षय रोग नियंत्रण इकाई सहित उच्चाधिकारी व स्वयं सेवी संस्थाएं लगातार प्रयासरत हैं।

जिले में स्वयंसेवी संस्थाएं टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लेने को लगातार आगे आ रही हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं व कुलपति के द्वारा टीबी से ग्रसित जन्म से 18 साल तक के बच्चों को गोद लेने का उद्देश्य यह है कि टीबी के उपचार के दौरान उनकी बेहतर देखभाल की जा सके, लगातार फॉलोअप हो सके और निक्षय पोषण योजना के तहत मिलने वाले हर माह 500 रुपये के अलावा पोषाहार पहुंचाया जा सके। इसके अलावा तिब्बत विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा दो बच्चों को गोद लिए गया था जिसमें से एक बच्चा स्वस्थ हो चुका है। सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा दो बच्चे गोद लिए गए और दोनों ही बच्चे ठीक हो चुके हैं। काशी विद्यापीठ के कुलपति द्वारा भी दो बच्चे गोद लिए गए और वह दोनों बच्चे अब स्वस्थ हो चुके हैं। वहीं बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा दो बच्चों को गोद लिया गया था जिसमें से एक बच्चा ठीक हो चुका है।

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