वाराणसी
हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में महाविद्यालय में कार्यक्रम का किया गया आयोजन
वाराणसी: हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में महाविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता रविनन्दन सिंह (सम्पादक- सरस्वती पत्रिका) ने स्पष्ट किया कि हिन्दी को मात्र भाषा ही नहीं अपितु माँ के रूप में देखा व समझा जाता है। श्री सिंह ने हिन्दी को वस्तुनिष्टता को क्रमवार व्यवस्थित रूप से सीमाबद्ध करते हुए यह कहा कि कहीं न कहीं हिन्दी की सुदृढ़ता एवं दयनीयता के लिए सामाजिक चेतना जिम्मेदार अर्थो में प्रतीत होती है। इस सम्बन्ध में उनका कथन अनेक शोध के परिणामों से सैद्धान्त्रिक स्वरूप दिया गया उनके अनुसार विश्व के लगभग 180 देशों में हिन्दी प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय क्रम की भाषा का दर्जा प्राप्त है श्री सिंह का व्याख्यान अति सहज व बोधगम्यता से परिपूर्ण रहा। स्वागत व विषय स्थापना करते हुए कार्यक्रम के संयोजक डॉ.प्रदुम्न सिंह ने हिन्दी विषय की सार्थकता व व्यापकता प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी भाषा मानव के जन्म अवसान तक साहचर्यजनित अवस्था में स्थापित प्राप्त होती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रो. अजय सिंह ने हिन्दी की गुणवत्ता को अतुलनीय करार दिया उनके अनुसार अन्य भाषाएँ जीवन के विविध सम्बन्धों की भाँति होती हैं, जबकि हिन्दी ही मात्र एक ऐसी भाषा हैं जिसे माँ के रूप में मान्यता प्राप्त है। प्रो. सुरेन्द्र सिंह (उप प्राचार्य) ने अपने आशीर्वाचन में व्यक्त किया कि जीवन का मूल अभिव्यक्ति है और अभिव्यक्ति की प्रधानता भाषा पर अवलंबित होती है। अतः हिन्दी भाषा ही जीवन का रहस्य है। संचालन करते हुए डॉ. नीरज कुमार सिंह (अध्यक्ष हिन्दी विभाग) ने अपने भाषा कला का प्रयोग कर सभी के मन पर एक अमिट छाप छोड़ा एवं हिन्दी के महत्व व महात्म पर विस्तृत प्रकाश डाला। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए, प्रो०विवेक पांडेय (संयोजक-I.Q.A.C.) ने अपनी सहज व सुमधुर शैली में हिन्दी की उत्कृष्टता पर सारगर्भित प्रकाश डालते हुए लोगों में एक नवीन चिंतन का रेखांकन करते हुए सभी के अति आभार व्यक्त किया कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो० नीलम सिंह, प्रो० सरिता रानी, डॉ. शिवानन्द सिंह, डॉ० रतन्जय कुमार सिंह, डॉ रविन्द्र कुमार, डॉ. रमेश कुमार, डॉ. शशिभूषण ओझा एवं डॉ. क्रान्ति कुमार सिंह एवं डॉ. शारदा सिंह सहित समस्त प्राध्यापक, प्राध्यापिका एवं छात्र/ छात्राओं की उपस्थिति रही।
