वाराणसी
संकटमोचन संगीत समारोह का शुभारंभ 16 से

वाराणसी का संकटमोचन मंदिर एक बार फिर बनने जा रहा है सुरों का तीर्थ। 16 अप्रैल से शुरू होकर 21 अप्रैल तक चलने वाला 102वां संकटमोचन संगीत समारोह इस बार कई मायनों में खास होगा। छह निशा व्यापी इस आयोजन में 45 मुख्य और 103 संगत व सहयोगी कलाकार मंच पर अपनी कला का जादू बिखेरेंगे।
महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने जानकारी दी कि इस बार समारोह में 17 नए कलाकार पहली बार आमंत्रित किए गए हैं। खास बात यह है कि 13 कलाकार ऐसे हैं जिन्हें पद्म सम्मान मिल चुका है। इनमें पद्मविभूषण डॉ. येल्ला वेंकटेश्वर राव, पद्मभूषण पं. साजन मिश्रा और पं. विश्वमोहन भट्ट, तथा पद्मश्री डॉ. रतिकांत महापात्र, उल्हास कसालकर, शिवमणि और अनूप जलोटा प्रमुख हैं।
इस वर्ष युवाओं को विशेष तरजीह दी गई है। बनारस घराने के कई उभरते कलाकारों को मंच मिलेगा, जो परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। साथ ही लंबे अंतराल के बाद कुछ दिग्गज कलाकार भी इस मंच पर वापसी करेंगे।
समारोह की खास बात यह भी है कि इस बार बीएचयू के मंच कला संकाय को भी एक पूरा मंच समर्पित किया गया है। विविधता की मिसाल पेश करते हुए तीन मुस्लिम कलाकार भी अपनी प्रस्तुतियों से समां बांधेंगे।
संगीत समारोह की यह गौरवशाली परंपरा 1923 में महंत अमरनाथ मिश्र द्वारा शुरू की गई थी, जो स्वयं एक उत्कृष्ट पखावज वादक थे। बाद में उनके उत्तराधिकारी पं. वीरभद्र मिश्र और अब उनके पुत्र प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
संगीत, परंपरा और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक यह आयोजन आज अखिल भारतीय स्तर पर एक सांस्कृतिक धरोहर बन चुका है, जो हर वर्ष देशभर से संगीतप्रेमियों को वाराणसी खींच लाता है।