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वाराणसी

श्यामामाता योगाश्रम में हिंदी काव्य संग्रह “हे हिमालय” का विमोचन

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स्वामी आत्मानंद जी ने किया लोकार्पण, कवि भुवन चंद कांडपाल ने सुनाई रचनाएं

मिर्जामुराद (वाराणसी)। स्थानीय श्यामामाता योगाश्रम में बुधवार को उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध काव्य रचयिता भुवनचंद कांडपाल ‘शून्य’ द्वारा रचित हिंदी काव्य संग्रह “हे हिमालय” का लोकार्पण आश्रम के महंत, वयोवृद्ध स्वामी आत्मानंद जी के करकमलों द्वारा संपन्न हुआ।

इस अवसर पर रचनाकार कवि भुवनचंद कांडपाल ने संग्रह से जुड़ी काव्य रचनाएँ — “मेरे प्यारे शिखर”, “शुभ्र हिमधर शिखर”, “बांधे रखना हमें, हम न जाएं बिखर”, “हम सरल भी बने और सहज भी रहें”, “है बचाना हिमालय ये जग से कहे”, “ये न देखे कि औरों ने क्या ग़म दिए, सोचे उसके कभी दर्द क्या कम किए” — सुनाकर श्रोताओं की खूब प्रशंसा प्राप्त की।

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इसके अतिरिक्त उन्होंने “हाथी और अख़बार”, “जिंदगी”, “बन गए चाचा जी देखो केयरटेकर” जैसी अन्य रचनाओं का भी पाठ किया, जिन्हें श्रोताओं ने सराहा।

कांडपाल जी अब तक हिंदी एवं कुमाऊँनी भाषा में दर्जनभर काव्य संग्रहों की रचना कर चुके हैं, जो समसामयिक, प्राकृतिक एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों पर आधारित हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख शिक्षकों में संजय कुमार, चंद्रशेखर जी, अखिलेश सिंह गौतम, अशोक मिश्र, देवेंद्र सिंह (मुन्ना), अकुल जी, विनोद गुप्ता, अश्विनी गुप्ता और पवन सिंह सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।

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