वाराणसी
वाराणसी में पं. प्रदीप मिश्रा की शिव कथा में उमड़ी भीड़, सुरक्षा व्यवस्था सख्त

वाराणसी के गंगा तट पर पं. प्रदीप मिश्रा द्वारा आयोजित शिव कथा में रोजाना तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। कथा स्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 5,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। यह कथा न सिर्फ वाराणसी, बल्कि पूरे भारत के कोने-कोने से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है।
जब श्रद्धालुओं से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि बाबा के मंत्र का जाप और भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए लोटा देने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कथा स्थल पर पांच लाख भक्तों के आने की संभावना को देखते हुए आयोजकों ने पंडाल लगाने की जिम्मेदारी एक कंपनी को दी और लगभग 441 बीघे में टेंट लगवाए गए।
कथा स्थल तक पहुंचने के लिए पांच प्रवेश द्वार बनाए गए, लेकिन पंडाल में सिर्फ एक लाख लोग बैठ सकते थे। जब भीड़ बढ़ी तो अस्थायी टेंट लगाए गए और लोग रेत पर भी बैठकर कथा सुनते रहे।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आयोजकों ने 250 वॉलंटियर्स को तैनात किया लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या के हिसाब से यह संख्या काफी कम थी। रोजाना 2-3 लाख श्रद्धालु पहुंच रहे थे जिससे वॉलंटियर्स की संख्या नाकाफी साबित हुई। कई बार प्रवेश के दौरान श्रद्धालुओं के बीच बहस भी हुई।
हालांकि वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ने खुद मौके पर पहुंचकर पुलिसकर्मियों को निर्देश दिए और व्यवस्था बनाए रखी।
नगर निगम द्वारा पानी और शौचालय जैसी सुविधाओं का इंतजाम किया गया था लेकिन तीन लाख की भीड़ के बीच यह व्यवस्था ध्वस्त हो गई और लोग खुले में शौच करने लगे जिससे स्थानीय लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा।
हालांकि कथा स्थल पर महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था की गई और वृद्ध श्रद्धालुओं के लिए गंगा घाट से कथा स्थल तक ई-रिक्शा की सुविधा भी दी गई थी।
पं. प्रदीप मिश्रा ने भक्तों से अपील की कि वे जब भी मंदिर में बेलपत्र गिरा देखें तो उसे पैर से न दबाएं बल्कि उठाकर उचित स्थान पर रख दें क्योंकि यह भगवान शिव को अति प्रिय है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके द्वारा दी जाने वाली रुद्राक्ष की माला गंडकी नदी से लाई जाती है जो सामान्य रुद्राक्ष से अलग होती है।
काशी में आयोजित यह कथा अब तक की सबसे बड़ी और भीड़-भाड़ वाली कथा साबित हो रही है। पं. मिश्रा ने कहा कि इस कथा में आस्था का जो उबाल है वह बाबा विश्वनाथ की कृपा से ही संभव हुआ है।
महामंडलेश्वर संतोष दास ने भी यह कहा कि शिव महापुराण कथा सबको कुछ न कुछ देकर जा रही है और यहां विभिन्न जाति और धर्म के लोग एक साथ आकर श्रद्धा से भरपूर हो रहे हैं।