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राज्य सरकार को करोड़ों की लगी चपत

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के मरवाही वन मंडल में 3 करोड़ 80 लाख की रॉयल्टी गड़बड़ी का गंभीर मामला सामने आया है। जिसमें राज्य सरकार को बड़ी वित्तीय हानि का सामना करना पड़ा। यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है और हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान वन विभाग द्वारा इस गड़बड़ी से जुड़े दस्तावेज पेश करने में विफलता भी सामने आई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मामला मरवाही वन मंडल के पेंड्रा वन क्षेत्र में 121 एनिकटो (छोटे बांध) के निर्माण से जुड़ा है। इन निर्माण कार्यों के लिए बड़ी मात्रा में खनिज सामग्री, जैसे रेत और गिट्टी, का परिवहन किया गया। नियमों के अनुसार, खनिज सामग्री की ढुलाई करने वाले हर वाहन से रॉयल्टी की रसीद प्राप्त कर ही भुगतान करना होता है। हालांकि, वन विभाग ने बिना रॉयल्टी रसीद देखे ही भुगतान कर दिया, जिससे सरकार को 3 करोड़ 80 लाख रुपये की रॉयल्टी का नुकसान हुआ।

इस गड़बड़ी का मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा, तो न्यायालय ने संबंधित पक्षों से दस्तावेज पेश करने की मांग की। लेकिन,वन विभाग की तरफ से कोई भी रॉयल्टी रसीद कोर्ट में पेश नहीं की जा सकी। विभाग का तर्क था कि रॉयल्टी से जुड़े दस्तावेज उनके दफ्तर में सुरक्षित हैं।

न्यायालय ने याचिकाकर्ताको राज्य सरकार के जवाब पर प्रत्युत्तर दाखिल करने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताहबाद तय की गई है।इस निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए गए ट्रकों और हाइवा जैसे बड़े वाहनों के माध्यम से खनिज सामग्री की आपूर्ति की गई थी।

सरकारी नियमों के अनुसार, हर खनिज सामग्री कीढुलाई पर रॉयल्टी की रसीद अनिवार्य रूप से प्राप्त की जानी चाहिए थी। जो कि इस मामले में अनुपस्थित रही। तो वहीं रॉयल्टी रसीद की गैरमौजूदगी के बावजूद, संबंधित ठेकेदारों और खनिज आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान कर दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को 3.80 करोड़ रुपये की हानि हुई।

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इस गड़बड़ी से यह सवाल उठता है कि प्रशासनिक स्तर पर इतनी बड़ी अनियमितता कैसे हो सकती है। बिना दस्तावेजी प्रमाणों के भुगतान किया जाना वन विभाग की प्रशासनिक निगरानी और प्रक्रियाओं पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। यह मामला राज्य की आर्थिक प्रणाली की पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर भी एक गंभीर संकेत देता है।

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