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वाराणसी

मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने शहरी जल निकायों की फिर से कल्पना करने के महत्व पर दिया जोर

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*आईआईटी (बीएचयू) में नमामि गंगे और एनआईयूए के सहयोग से दो दिवसीय कार्यक्रम में “शहरी नदियों की फिर से कल्पना” के थीसिस प्रतियोगिता सीजन दो के विजेताओं की घोषणा*

*मुख्य सचिव ने स्नातक और परास्नातक श्रेणी के तीन-तीन विजेताओं को किया पुरस्कृत*

*कार्यक्रम में थीसिस प्रतियोगिता का तीसरा संस्करण का भी शुभारंभ*

        वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित वास्तुकला, योजना एवं अभिकल्प विभाग के तत्वावधान में शुक्रवार को नेशनल इस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स (एनआईयूए) और नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) द्वारा आयोजित ’री-इमेजिनिंग अर्बन रिवर’ पर दो दिवसीय थीसिस प्रतियोगिता के सीजन-2 का फाइनल आयोजित किया गया।
     उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने छात्रों द्वारा प्रस्तुतियों के बाद स्नातक और परास्नातक श्रेणी में क्रमशत तीन विजेताओं को सम्मानित किया। इसमें स्नातक श्रेणी में योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, दिल्ली की रूपल श्रीवास्तव को प्रथम, योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, भोपाल के उज्ज्वल सिंह को द्वितीय और तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से डॉ भानुबेन नानावती कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, पुणे की मोहिनी विकास भोसेकर और एनआईटी श्रीनगर के मुबशिर अर्शिद को मिला। वहीं, परास्नातक श्रेणी में एनआईटी कालीकट की अरूणिमा केटी को प्रथम, आईआईटी खड़गपुर की करपागवल्ली एस को द्वितीय और योजना एवं वास्तुकला विद्यालय, दिल्ली की साक्षी सिंह को तृतीय पुरस्कार मिला। दो दिनों के निर्णायक मंडल के सदस्यों को वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल द्वारा सम्मानित किया गया और प्रतियोगिता में शामिल सभी 20 छात्रों को आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन और एनआईयूए के निदेशक हितेश वैद्य ने प्रमाण पत्र वितरित किया।
       मुख्य अतिथि मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने शहरी जल निकायों की फिर से कल्पना करने के महत्व पर जोर दिया और छात्र थीसिस प्रतियोगिता के तीसरे सत्र को ’शहरी जल निकायों की पुनरू कल्पना’ पर होने का आह्वान किया। उन्होंने आजीविका, मनोरंजन, पर्यटन के लिए संभावित शहरी जल निकायों को फिर से दोहराया। इससे पहले समारोह की शुरुआत मुख्य अतिथियों द्वारा पुष्प मालाओं के साथ संस्थान के संस्थापक महामना पं मदन मोहन मालवीय को दीप प्रज्ज्वलित करने और उनका सम्मान करने के साथ हुई। इसके बाद राजीव रंजन मिश्रा (मुख्य तकनीकी सलाहकार, एनआईयूए) द्वारा संबोधन और गर्मजोशी के साथ प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन (निदेशक, आईआईटी (बीएचयू) का स्वागत किया। सत्र का उद्घाटन कमिश्नर दीपक अग्रवाल संबोधन द्वारा किया गया था। हितेश वैद्य (निदेशक, एनआईयूए) ने मुख्य अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
        दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान, बीस छात्र, स्नातक और परास्नातक श्रेणियों के दस प्रत्येक ने अपने थीसिस काम को प्रस्तुत किया। इन विषयों में शहरी नियोजन में नदी की सोच को एकीकृत करने से लेकर नदी प्रबंधन के लिए आदिवासियों को शामिल करने, नदी-केंद्रित पारगमन-उन्मुख विकास को विकसित करने, नदी के पानी की गुणवत्ता का पूर्वानुमान लगाने के लिए, मशीन लर्निंग का उपयोग करने तक शामिल हैं।  निर्णायक समिति के एक पैनल द्वारा मूल्यांकन किए गए छात्रों की प्रस्तुति  में राजीव रंजन मिश्रा (पूर्व महानिदेशक, एनएमसीजी), एस विश्वनाथ (निदेशक, बायोम पर्यावरण समाधान), प्रोफेसर गौरव रहेजा (प्रमुख और प्रोफेसर, वास्तुकला और योजना विभाग, आईआईटी रुड़की) और डॉ अमृता द्विवेदी (सहायक प्रोफेसर, मानवतावादी अध्ययन विभाग, आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी) शामिल रहीं।
     समापन अवसर पर डाइरेक्टर जनरल, एनएमसीजी जी. असोक कुमार एवं डी. थारा, मिशन डाइरेक्टर, एएमआरयूटी 2.0 ऑनलाइन तौर पर एवं संयुक्त सचिव, कमिश्नर दीपक अग्रवाल, एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (परियोजना) हिमांशु बडोनी आदि उपस्थित रहे।
      इस अवसर पर आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन एवं मुख्य अतिथियों द्वारा एनआईयूए द्वारा प्रकाशित अर्बन इंडिया जर्नल (वॉल्यूम 41) के एक विशेष अंक का अनावरण किया गया। इसमें छात्र थीसिस प्रतियोगिता के पहले सत्र से परियोजनाओं में से उभरने वाले 6 शोध पत्रों का संकलन किया गया था। इसके बाद, मुख्य सचिव द्वारा छात्र थीसिस प्रतियोगिता  के सीजन -3 का शुभारंभ किया गया। प्रतियोगिता देश भर में किसी भी विषय के स्नातक और परास्नातक छात्रों के लिए खुली है। प्रतियोगिता को छात्रों को हमारे शहरों में नदी- संवेदनशील विकास को बढ़ावा देने वाले अभिनव समाधानों के साथ आने का अवसर प्रदान  करने के  लिए डिज़ाइन किया गया है। कार्यक्रम का समापन हिमांशु बडोनी की समापन टिप्पणी और संस्थान के वास्तुकला, योजना एवं अभिकल्प विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेश कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।

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