पूर्वांचल
भगवान परशुराम मंदिर की स्थापना का 19वां वार्षिक आयोजन सम्पन्न

गाजीपुर। जिले के सैदपुर ग्राम सभा नारायणपुर ककरही स्थित भगवान परशुराम के पवित्र मंदिर की स्थापना के 19 वर्ष पूरे होने पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह मंदिर 27 नवंबर 2018, दिन मंगलवार को भारतीय ब्राह्मण समिति गाजीपुर के सहयोग और डॉ. इंद्रजीत पांडे, भाई राजकुमार पांडे (राज्य विधिक अधिकारी, इलाहाबाद) और राजेश पांडे के सौजन्य से स्थापित हुआ था।
तब से लेकर आज तक मंदिर की देख-रेख और पूजा-अर्चना का कार्य मुख्य पुजारी पंडित गंगा पांडे के द्वारा किया जा रहा है। इस अवसर पर प्रतिवर्ष अखंड रामायण का पाठ आयोजित किया जाता है। इस वर्ष भी डॉ. इंद्रजीत पांडे और उनके परिवार द्वारा 24 घंटे के अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया गया। पाठ के समापन के पूर्व महाप्रसाद का वितरण किया गया, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए।
विशेष योगदान और सांस्कृतिक रंग
कार्यक्रम में चंदौली से आई लवकुश पांडे की टीम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। लवकुश पांडे ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “भगवान परशुराम का यह मंदिर ब्राह्मण समाज की आस्था का केंद्र है। मैं प्रतिवर्ष यहां आता हूं और अपने टीम के साथ सेवा करता हूं।”
महिलाओं द्वारा मंगल गीत और भक्ति भजन से माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया गया। कार्यक्रम का समापन बुधवार को पंडित पप्पू मिश्रा द्वारा विधिपूर्वक हवन-यज्ञ से किया गया।
समाज के प्रमुख लोगों की भागीदारी
कार्यक्रम में भारतीय ब्राह्मण समिति के जिला उपाध्यक्ष धर्मेंद्र मिश्रा, गिरीश कुमार पांडे, जयशंकर तिवारी उर्फ पप्पू, रमेश चौबे, सैदपुर ब्लॉक अध्यक्ष ललित मोहन पांडे, जखनियां ब्लॉक अध्यक्ष सुधाकर पांडे, अमन पाठक, और ब्राह्मण समाज के अनेक लोग उपस्थित रहे।
इसके अलावा, वाराणसी से डॉ. पी.के. तिवारी, डॉ. चंदेश्वर पांडे, और संदीप मिश्रा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्यक्रम के सफल आयोजन में पवन पांडे, महेंद्र यादव, रिंकू सिंह, शिवम, शुभम, ओम, कुंदन, शिवांश, त्र्यंबकम सहित कई लोगों ने विशेष योगदान दिया।
पारिवारिक निष्ठा और समर्पण
डॉ. इंद्रजीत पांडे के माता-पिता गंगा पांडे और प्रेमा देवी, बड़ी बहन शीला चौबे, नेहा पांडे, तथा परिवार के अन्य सदस्यों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। परिवार की निष्ठा और सेवा का यह भाव पूरे आयोजन को भव्य बनाने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
हर वर्ष आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम समाज में भगवान परशुराम के प्रति आस्था और ब्राह्मण समाज की एकता का प्रतीक बनता जा रहा है।