वाराणसी
बिजली के निजीकरण और उत्पीड़न के खिलाफ भड़के बिजलीकर्मी

वाराणसी। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। शुक्रवार को आंदोलन के 191वें दिन वाराणसी के भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर बिजलीकर्मियों ने जमकर प्रदर्शन किया। वहीं, अभियंताओं के उत्पीड़नात्मक स्थानांतरण के खिलाफ सोमवार को पूर्वांचल के हजारों बिजलीकर्मी एक और बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
संघर्ष समिति ने साफ किया है कि यह आंदोलन अब सिर्फ बिजली कर्मचारियों का नहीं रहा, बल्कि इसमें आम उपभोक्ताओं और किसानों की भी बड़ी भागीदारी होगी। इसी कड़ी में 22 जून को लखनऊ में किसानों, उपभोक्ताओं और बिजलीकर्मियों की संयुक्त महापंचायत का आयोजन तय हुआ है, जिसमें निजीकरण के खिलाफ साझा रणनीति पर फैसला लिया जाएगा।
इस महापंचायत में निजीकरण के समर्थन में दिए जा रहे तथ्यों की पड़ताल करते हुए एक श्वेतपत्र जारी किया जाएगा और साथ ही ओडिशा, चंडीगढ़, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, आगरा जैसे क्षेत्रों में निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को हुई समस्याओं को सामने रखा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश सरकार को भी इस विषय में प्रस्तावित कठिनाइयों से अवगत कराया जाएगा।
संघर्ष समिति का कहना है कि 22 जून के बाद ऐसी महापंचायतें वाराणसी, आगरा, मेरठ सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में भी आयोजित की जाएंगी। किसानों और उपभोक्ताओं के प्रमुख संगठनों के साथ वार्ता पूरी हो चुकी है और बिजली कर्मचारी संगठनों से भी एकमत सहमति बन चुकी है।
वाराणसी इकाई ने चेतावनी दी है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा किए गए उत्पीड़नात्मक स्थानांतरण को यदि 72 घंटे के भीतर रद्द नहीं किया गया, तो सोमवार को प्रबंध निदेशक कार्यालय पर विस्फोटक विरोध प्रदर्शन होगा।
सभा में ई. विजय सिंह, ई. दीपक गुप्ता, वेदप्रकाश राय, रामजी भारद्वाज, रविन्द्र यादव, संतोष वर्मा, राजेश सिंह, ई. नीरज बिंद, संदीप कुमार, ई. सियाराम, रमाशंकर पाल, जयप्रकाश और अजीत कुमार जैसे प्रमुख वक्ताओं ने आंदोलन को समर्थन दिया और कर्मचारी एकजुटता की अपील की।