गाजीपुर
धान पंजीकरण में अनियमितता पर भड़के किसान, एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
समर्थन मूल्य पर धान विक्रय हेतु अंश निर्धारण और चकबंदी सत्यापन में गड़बड़ी का आरोप
सेवराई (गाजीपुर)। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के तहसील अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह के नेतृत्व में किसानों ने सोमवार को सेवराई उपजिलाधिकारी (एसडीएम) संजय यादव को एक शिकायत पत्र सौंपा। किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान विक्रय हेतु पंजीकरण में अंश निर्धारण और चकबंदी ग्रामों के सत्यापन में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया है।
किसानों ने कहा कि धान और गेहूं की खेती उनकी आजीविका का प्रमुख साधन है, लेकिन पंजीकरण के दौरान भूमि विवरण भरने पर वास्तविक अंश नहीं दिखाया जा रहा है। गाटे के सभी किसानों को समान अंश और मात्रा दर्शाई जा रही है, जिससे जिन किसानों की भूमि अधिक है, उन्हें कम मात्रा का सत्यापन मिल रहा है। परिणामस्वरूप, उन्हें अपनी उपज का बड़ा हिस्सा बिचौलियों को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ रहा है।
किसानों का कहना है कि राजस्व अमीन उनके वास्तविक अंश के अनुसार मालगुजारी वसूल करते हैं, लेकिन धान विक्रय के लिए जारी पंजीकरण में गड़बड़ियों के कारण उन्हें आर्थिक और मानसिक दोनों तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों में पंजीकरण पोर्टल पर ‘अभियुक्ति’ का विकल्प उपलब्ध था, जिसके माध्यम से किसान अंश निर्धारण, नाम त्रुटि या वरासत संबंधी आपत्तियां दर्ज कर सकते थे। इससे लेखपाल, तहसीलदार और उपजिलाधिकारी स्तर पर समस्याओं का त्वरित समाधान हो जाता था। परंतु इस वर्ष वह विकल्प हटा दिए जाने से किसान गलत अंश पर पंजीकरण लॉक करने को मजबूर हैं।
किसानों ने आरोप लगाया कि संबंधित सत्यापनकर्ता भी समय के दबाव में अवास्तविक मात्रा को सत्यापित कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि पंजीकरण पोर्टल पर ‘अभियुक्ति’ का विकल्प तत्काल प्रभाव से पुनः लागू किया जाए, ताकि किसान अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकें और सत्यापन की प्रक्रिया पारदर्शी बने।
इसके साथ ही किसानों ने कहा कि चकबंदी ग्रामों के किसानों को सत्यापन के लिए जिला मुख्यालय स्थित चकबंदी अधिकारी के पास जाना पड़ता है, जिससे समय और धन दोनों की हानि होती है। उन्होंने मांग की कि पूर्व की भांति चकबंदी ग्रामों का सत्यापन तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी द्वारा ही कराया जाए।
किसानों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो वे अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को अवगत कराते हुए शासन की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अगले सप्ताह विशाल धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।
