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गाजीपुर

तीन दशक से उपेक्षित लिंक मार्ग बना ग्रामीणों के लिए सिरदर्द

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ग्राम प्रधान पर लापरवाही का आरोप

बहरियाबाद (गाजीपुर)। ग्राम सभा चक फरीद में वर्षों से उपेक्षित तीन लिंक मार्ग आज भी पक्के निर्माण की बाट जोह रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान कलावती देवी और उनके प्रतिनिधि शिवनाथ राम द्वारा सरकारी पैसों का दुरुपयोग किया जा रहा है और जरूरी कार्यों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है।

चक फरीद स्थित यह लिंक मार्ग करीब तीन दशक पुराना है, जिस पर समय-समय पर सिर्फ मिट्टी डालने का काम कर छोड़ दिया जाता है। यह मार्ग कुंजन विश्वकर्मा के मकान से निकलकर बिरजू मौर्य होते हुए ग्राम सभा आराजी कस्बा स्वाद को जोड़ता है। लगभग ढाई सौ मीटर लंबे इस रास्ते की दशा बरसात में और भी बदतर हो जाती है।

इसी मार्ग से दो अन्य लिंक मार्ग भी निकलते हैं जिनमें पहला लिंक मार्ग स्वर्गीय पंचदेव के पंपसेट से शुरू होकर स्वर्गीय नंदू सेठ के मकान तक जाता है, जिसकी लंबाई करीब 150 मीटर है और यह बहरियाबाद चौराहा होते हुए सादात मुख्य सड़क से जुड़ता है। जबकि, दूसरा मार्ग स्वर्गीय पंचदेव मौर्य के पंपसेट से निकलकर आराजी कस्बा स्वाद के प्रधान प्रतिनिधि अब्दुल खालिक उर्फ गुड्डू के मकान तक जाता है।

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इन तीनों मार्गों से प्रतिदिन ग्रामीण मुख्य सड़क तक आवागमन करते हैं। मगर बारिश में कीचड़ और फिसलन के कारण राह चलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस मार्ग पर केवल मिट्टी डालकर खानापूरी की जाती है, जिससे लोग फिसलकर गिर रहे हैं और कृषि कार्य भी बाधित हो रहा है।

पूर्व में भाजपा के भूतपूर्व जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह और वर्तमान जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश राय के समक्ष भी ग्रामीणों ने इस मार्ग के निर्माण की मांग रखी थी। उस समय बहरियाबाद के अजय सहाय और मंडल अध्यक्ष सोनू सिंह भी उपस्थित थे, मगर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।

ग्राम प्रधान की उदासीनता से नाराज ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। ग्राम सभा चक फरीद के विजेंद्र मौर्य, दूधनाथ मौर्य, राम व्रत मौर्य, गंगा मौर्य, शोभनाथ मौर्य, संतोष मौर्य, राजेश मौर्य, कन्हैया मौर्य, बृजेश मौर्य, सत्येंद्र मौर्य, रमेश मौर्य, राम दरश मौर्य, जमुना मौर्य सहित दर्जनों लोगों ने कहा है कि अगर जल्द इन मार्गों का निर्माण नहीं हुआ तो धरना, अनशन और प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। ग्रामीणों की यह मांग प्रशासन के लिए एक चेतावनी है, जो अब भी अनसुनी की जा रही है।

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