वाराणसी
कालाजार है घातक बीमारी इसको दूर करना सभी की जिम्मेदारी- डॉ नूपुर राय

रिपोर्ट प्रदीप कुमार
वाराणसी। “कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बालू मक्खी के काटने से फैलने वाली संक्रामक एवं घातक बीमारी है। बालू मक्खी मिट्टी के घर, नमी वाले स्थान, दीवारों की दरार, बांस के झुंड, चूहों के बिल एवं अंधेरी वाली जगहों पर पायी जाती है। कालाजार पर काबू पाने के लिए विभाग व सहयोगी संस्थाओं के साथ स्वयं सहायता समूह, कोटेदार, शिक्षक, धर्मगुरु, ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य व समिति, पार्षद, वार्ड सदस्य व समिति, नगर निगम, नगर पालिका, निजी चिकित्सक, मेडिकल स्टोर एवं अन्य जनप्रतिनिधियों को अहम ज़िम्मेदारी निभानी होगी। ताकि इसी वर्ष कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल किया जा सके”। यह बातें शनिवार को कालाजार उन्मूलन के तहत सोशल मोबिलाइज़ेशन को लेकर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम की अपर निदेशक, भारत सरकार डॉ नूपुर रॉय ने कहीं।
मलदहिया स्थित एक होटल में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कालाजार उन्मूलन को लेकर शनिवार को दो दिवसीय प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) का समापन हुआ। प्रशिक्षण प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) इंडिया के सहयोग से उत्तर प्रदेश व झारखंड के जिलावेक्टर जनित रोग कंसल्टेंट, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक व मलेरिया निरीक्षक को दिया गया जिसमें यूपी के वाराणसी, गोरखपुर, बहराइच, कुशीनगर, महाराजगंज, भदोही, गोंडा, देवरिया, बलिया और गाजीपुर जनपद शामिल रहे। इसके अलावा झारखंड के दुमका, गोड्डा, पाखुर और साहिबगंज जनपद शामिल रहे। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अब जनपद व ब्लॉक स्तर पर सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे। स्वयं सहायता समूह, कोटेदार, शिक्षक, धर्मगुरु, ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य व समिति, पार्षद, वार्ड सदस्य व समिति, नगर निगम, नगर पालिका, निजी चिकित्सक, मेडिकल स्टोर एवं अन्य जन प्रतिनिधियों का उन्मुखीकरण किया जाएगा।
अपर निदेशक डॉ नूपुर रॉय ने कहा कि कालाजार उन्मूलन के लिए सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। कालाजार प्रभावित जिलों में साल में दो बार कीटनाशक आईआरएस दवा का छिड़काव भी किया जा रहा है। कालाजार रोगियों को यूपी व झारखंड के कई जिलों में प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से पक्का व प्लास्टर युक्त आवास दिया गया है, ताकि बालू मक्खी से बचा जा सके। उन्होने कहा कि कालाजार प्रभावित जिलों के हर ब्लॉक व गाँव में एक मजबूत प्रणाली तंत्र बनाया जाए और वहाँ जाकर समुदाय को मोबिलाइज किया जाए। इससे कालाजार के लक्षण पाये जाने वाले व्यक्ति को प्रेरित व प्रोत्साहित कर जल्द से जल्द जांच, पहचान व उपचार शुरू किया जा सकेगा। उन्होने कहा कि सरकार का लक्ष्य है भविष्य में एक ब्लॉक में 10 हजार की जनसंख्या में एक से कम मरीज मिलें। यदि तीन साल तक एक भी मरीज नहीं मिलता है तो उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।
झारखंड स्टेट आईईसी कंसल्टेंट डॉ नीलम कुमार ने कहा कि कालाजार गंभीर स्थिति में पहुँच जाने पर सरकार द्वारा कालाजार सामान्य रोगी को उपचार के बाद 500 रुपये एवं पीकेडीएल (त्वचा का कालाजार) रोगी को 4000 रुपये और सहयोगी किसी भी व्यक्ति, आशा (यूपी) व सहिया (झारखंड) को 500 रुपये दिया जाता है। कालाजार उन्मूलन के लिए समुदाय को जागरूक व मोबिलाइज करने के लिए कई तरह के प्रचार-प्रसार व संचार माध्यमों की मदद ली जा सकती है। पीसीआई की नेशनल प्रोजेक्ट लीड राजश्री ने सभी प्रशिक्षकों को कालाजार रोग के प्रति सोशल मोबिलाइज़ेशन व सामुदायिक भागीदारी के लिए आईईसी/बीसीसी गतिविधियां कराई गई। इसके साथ ही उन्होने कालाजार मित्र, कालाजार सखी, प्रचार-प्रसार व संचार के माध्यमों के बारे में विस्तार से चर्चा की।
इस मौके पर एसीएमओ डॉ एसएस कन्नौजीया, जिला मलेरिया अधिकारी एससी पांडे, डब्ल्यूएचओ एनटीडी के राज्य स्तरीय समन्वयक डॉ अभिषेक पॉल, पीसीआई से नेशनल प्रोजेक्ट मैनेजर रनपाल सिंह, यूपी स्टेट प्रोग्राम मैनेजर ध्रुव सिंह, झारखंड स्टेट प्रोग्राम मैनेजर कलाम खान, झारखंड स्टेट कालाजार कंसल्टेंट डॉ मोहम्मद अंजुम इकबाल, यूपी रीज़नलकोओर्डिनेटर विकास द्विवेदी, झारखंड रीज़नल कोओर्डिनेटर अमरेश, रोहित, अनिल, अनीश, पीसीआई कालाजार कंसल्टेंट डॉ एसएन पांडे,ट्रेनिंग कंसल्टेंट शाल्वी, विधि, सीफार से स्टेट प्रोग्राम कोओर्डिनेटर डॉ सतीश पांडे, जिला समन्वयक दीप नारायण पांडे एवं प्रशून द्विवेदी व अन्य लोग मौजूद रहे।
कालाजार के लक्षण :
दो हफ्ते से ज्यादा बुखार रहना, चमड़ी का कालापन, पेट में सूजन, खून की कमी,भूख न लगना, वजन में कमी, कमजोरी व थकान एवं सूखी, पतली व परतदार त्वचा। सभी सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केन्द्रों पर कालाजार की जांच व इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है।