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वाराणसी

कबीर मठ संपत्ति विवाद को लेकर न्यायालय ने मुकदमा पंजीकृत करने का दिया निर्देश

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वाराणसी : वाराणसी में कबीर मठ संपत्ति मामले को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है । जिसको लेकर अब नया मोड़ समाने आया है । न्यायालय ने चेतगंज थाना प्रभारी को आदेशित किया है मुकदमा पंजीकृत करने के लिए, इस दौरान कोर्ट ने कहा है कि बिना विवेचना कराएं सत्य को अदभुत किया जाना संभव नहीं है ऐसी स्थिति में समस्त तत्थों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए न्याय हित में मुकदमा पंजीकृत किया जाना चाहिए ।

न्यायालय में दिए गए रिपोर्ट में कहा गया है कि श्री सदगुरु कबीर मंदिर सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड संस्था है। जिसके 23 वें आचार्य महंत गंगा करणशास्त्री ने 1999 में अपने बाद महंत विवेक दास शिष्य स्व० अमृत साहब को संस्था का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और चार्ज देते समय बैंक बैलेंस के साथ मठ की सम्पूर्ण व्यवस्था सौंप दिया गया था ।

दाखिल पत्र में कहा गया की महंत विवेकदास द्वारा एक ट्रस्टी की हैसियत से अवैध तरीके से बिना जज से परमिशन लिए सोसायटी एक्ट की धारा -5 का उल्लंघन करते हुए करते हुए कई सम्पत्ति का विक्रय किया गया । विवेकदास ने व्यक्तिगत ट्रस्ट सिद्ध पीठ कबीर चौरा मठ मूलगादी ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कराकर सदगुरु कबीर मनजीत सोसाइटी आमद की संपत्ति को साजिश द्वारा विपक्षीगण द्वारा मठ की संपत्ति पर ट्रस्ट का नामा अंकित कर दिया गया । जिसमें बताया गया कि ऐतिहासिक कबीर साहब की जन्मस्थली और कर्मस्थल की संपत्ति को एक व्यक्तिगत ट्रस्ट का नाम अंकित करा दिया गया और रजिस्टर्ड सोसाइटी की संपत्ति या मटकी संपत्ति के अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया।

जिस पर थाना से आख्या आहूत की गई, जिससे प्राप्त साक्ष्य के अनुसार विवेक दास द्वारा कहा गया है कि मुझे जानकारी नहीं थी कि सोसाइटी की संपत्ति को बेचने से पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है नहीं तो मैं जिला जज से अनुमति प्राप्त कर लिया होता । वर्तमान में मेरे शिष्य उत्तराधिकारी प्रमोद दास कबीर मठ की देखभाल कर रहे हैं । जिसके बाद न्यायालय द्वारा कहा गया कि बाबा प्रहलाद दास की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को धारा 156 (3) के तहत स्वीकार किया जाता है और थानाध्यक्ष चेतगंज को आदेशित किया जाता है कि प्रार्थना पत्र में वर्णित घटना के संबंध में समुचित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना कराया जाए

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