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वाराणसी

“पत्रकारिता की आत्मा बचानी है तो पत्रकारों के लिए बने संविधान”: प्रो. डॉ.नागेंद्र कुमार सिंह

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वाराणसी। प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (उपज) की वाराणसी इकाई द्वारा आयोजित संगोष्ठी में प्रो. डॉ.नागेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र के निर्माण में जितनी अहम भूमिका निभाते हैं, उतनी ही उपेक्षा का शिकार भी होते हैं।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पत्रकारों के लिए भी एक पृथक संविधान होना चाहिए, जिससे पत्रकारिता के मूल्यों को संरक्षित किया जा सके। प्रो. डॉ.नागेंद्र कुमार सिंह, जो महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान के निदेशक हैं, ने कहा कि जिस तरह विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए संविधान है, उसी तरह लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ के लिए भी संविधान की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि जब तक पत्रकारों को एक संरक्षित ढांचा नहीं मिलेगा, तब तक पत्रकारिता अपने मूल रूप में नहीं टिक पाएगी। इस अवसर पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक सुरेंद्र नाथ पाल ने कहा कि पत्रकारों की लेखनी में इतनी ताकत होती है कि वह सत्ता तक को हिला सकती है। लेकिन अभिव्यक्ति की आज़ादी के अभाव में आज पत्रकार कई बार समझौते के लिए मजबूर हो जाते हैं।

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उन्होंने पत्रकारिता में पारदर्शिता, नैतिकता और सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों का स्वागत उपज के महामंत्री प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने किया। जिलाध्यक्ष विनोद बागी ने अपने स्वागत भाषण में पत्रकारों की मौजूदा समस्याओं को सामने रखा।

कार्यक्रम का संचालन अरविंद कुमार सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अनिल जायसवाल ने किया। संगोष्ठी में प्रमुख रूप से प्रदीप उपाध्याय, आलोक श्रीवास्तव, संतोष कुमार, संदीप सेठ, प्रज्ञा मिश्रा, अरविंद श्रीवास्तव समेत दर्जनों पत्रकार मौजूद रहे।

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