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वाराणसी

BHU : डायबिटीज मरीजों के लिए गुटखा बना जहर, रिसर्च में हुआ खौफनाक खुलासा

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में डायबिटीज रोगियों पर हुए ताजा शोध ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। वर्ष 2022 से 2024 के बीच 40 से 60 वर्ष की उम्र के 80 डायबिटीज मरीजों पर हुए इस शोध में पाया गया कि गुटखा चबाने वाले मरीजों की धमनियों में खून का प्रवाह काफी धीमा है।

शोध में शामिल 40 मरीज जो गुटखा खाते थे, उनमें एंकल ब्रेकियल प्रेशर इंडेक्स (ABPI) का मान सामान्य से काफी कम मिला, जिससे Peripheral Artery Disease (PAD) यानी परिधीय धमनी रोग का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना भी अधिक पाई गई।

BHU IMS फिजियोलॉजी विभाग की प्रोफेसर रत्ना पांडेय ने बताया कि गुटखा चबाने वालों की धमनियों में वसायुक्त जमाव (atherosclerotic changes) अधिक पाया गया। इससे पैरों की नसों में ब्लॉकेज होने की आशंका बढ़ती है, जिससे चलने पर दर्द, थकान और झनझनाहट जैसी समस्याएं होती हैं।

शोध में पाया गया कि गुटखा न खाने वाले मरीजों के मुकाबले गुटखा खाने वालों का ABPI मान 0.75 से 0.9 के बीच था, जबकि सामान्य मान 0.9 से 1.4 माना जाता है। अगर समय रहते गुटखा छोड़ने के साथ स्वस्थ खानपान और व्यायाम न किया जाए तो इन मरीजों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ सकता है।

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इस शोध दल में प्रो. रत्ना पांडेय के अलावा डॉ. वैभव मौर्य, प्रो. नीरज कुमार अग्रवाल और एम्स गोरखपुर के एडिशनल प्रोफेसर कुमार सर्वोत्तम भी शामिल रहे। शोध का दूसरा चरण जल्द ही शुरू होगा, जिसमें PAD के इलाज और रोकथाम के तरीकों का परीक्षण किया जाएगा।

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