धर्म-कर्म
उत्तम लोक की प्राप्ति के लिए करे बुध प्रदोष व्रत
रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। वस्तुत: इस वर्ष आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि 11अक्टूबर को बुध प्रदोष व्रत है। बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथों में निहित है कि बुध प्रदोष व्रत तिथि पर देवों के देव महादेव की पूजा उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से बुध प्रदोष व्रत के दिन महादेव संग माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखते हैं। उक्त बातें आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केंद्र के संस्थापक साहित्याचार्य ज्योर्तिविद आचार्य चन्दन तिवारी ने बताया कि बुध प्रदोष व्रत पर दुर्लभ समेत अद्भुत शुभ संयोग बन रहे हैं। महादेव की पूजा करने से साधक को कई गुना अधिक फल प्राप्त होगा।
भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा किए बिना भोजन ग्रहण न करें। व्रत के दौरान भोजन, नमक, मिर्च आदि का सेवन न करें।
पूजा की थाली में अबीर, गुलाल, चंदन, काले तिल, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र, शमी पत्र, जनेऊ, कलावा, दीपक, कपूर, अगरबत्ती और फल रखकर पूजा करें।
❀ प्रदोष व्रत करने के लिए व्यक्ति को त्रयोदशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
❀ नित्यकर्म से निवृत्त होकर भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें।
❀ इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता।
❀ पूरे दिन उपवास करने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले स्नान कर सफेद वस्त्र पहने जाते हैं।
❀ पूजा स्थल को गंगाजल या साफ पानी से शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार किया जाता है।
❀ अब इस मंडप में पांच रंगों का प्रयोग कर रंगोली बनाई जाती है.
❀ प्रदोष व्रत की पूजा के लिए कुशा के आसन का प्रयोग किया जाता है।
❀ इस प्रकार पूजा की तैयारी करके उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठकर भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए।
❀ पूजा में भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नम: शिवाय’ का जाप करते हुए शिव को जल चढ़ाना चाहिए।
प्रदोष व्रत करने से दो गाय दान करने के समान पुण्य फल मिलता है। प्रदोष व्रत के संबंध में एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि एक दिन जब चारों ओर अधर्म का माहौल होगा, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्यों में स्वार्थ अधिक होगा। व्यक्ति अच्छे कर्म करने की बजाय नीच कर्म अधिक करेगा। उस समय में जो मनुष्य त्रयोदशी का व्रत करके शिव की पूजा करेगा, उस पर शिव की विशेष कृपा होगी। जो व्यक्ति इस व्रत को करता है वह जन्म-जन्मांतर के चक्र से बाहर निकलकर मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ता है। उस व्यक्ति को उत्तम लोक की प्राप्ति होगी।
