वाराणसी
आईआईटी(बीएचयू) के मुख्य पुस्तकालय का नाम अब ‘श्रीनिवास देशपांडे पुस्तकालय’
- 1948 के पूर्व छात्र श्रीनिवास देशपांडे, के सम्मान में बदला गया नाम श्रीनिवास देशपांडे के पुत्र डॉ देश देशपांडे और जयश्री देशपांडे द्वारा संस्थान को दिया था 1 मिलियन डॉलर का अनुदान
रिपोर्ट : मनोकामना सिंह
वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) की मुख्य लाइब्रेरी अब ‘श्रीनिवास देशपांडे पुस्तकालय’ के नाम से जानी जाएगी। आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी के मुख्य पुस्तकालय का नामकरण समारोह बीते शुक्रवार को संस्थान में ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया। इस समारोह में अमेरिका और भारत के अतिथि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए थे । संस्थान के पुस्तकालय का नया नामकरण बोस्टन स्थित प्रसिद्ध उद्यमी और दानी देश देशपांडे और उनकी पत्नी जयश्री देशपांडे द्वारा आईआईटी (बीएचयू) फाउंडेशन को 1 मिलियन अमरीकी डालर (रुपये 7.5 करोड़) के उदार दान के माध्यम से संभव हुआ है जो श्रीनिवास देशपांडे के पुत्र और पुत्रवधू हैं । देश देशपांडे औद्योगिक रसायन विज्ञान में 1948 में स्नातक हैं जो पूर्व में कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी बीएचयू था और अब आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी है।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि संस्थान के लिए यह अमूल्य योगदान हमें विभिन्न क्षमताओं में आगे बढ़ने में मदद करेगा । हम इस योगदान के माध्यम से आगे बढ़ने और और छात्रों के विकास के लिए एक गुणवत्तापूर्ण वातावरण सुनिश्चित करेंगे ।
अपने संबोधन में श्रीनिवास देशपांडे ने कहा कि संस्थान से स्नातक हुए 74 वर्ष से अधिक समय हो चुके हैं, यह शिक्षा ही थी जिसने उन्हें सात दशकों से अधिक समय तक सार्वजनिक और निजी सेवा के लिए तैयार किया । इतिहास में ऐसे समय में संस्थान में अपने समय को याद किया जब भारत ने अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्त की थी । उन्होंने मेस के भोजन को भी याद किया और आशा व्यक्त की कि वर्तमान छात्रों को उतना ही अच्छा भोजन मिल रहा है जितना कि उन्हें तब मिला करता था । देश देशपांडे और जयश्री देशपांडे ने कहा कि उन्होंने इस उम्मीद के साथ दान दिया कि वर्तमान और भविष्य में आने वाले छात्र समाज में सकारात्मक योगदान देने के साथ-साथ अपने जीवन में महान ऊंचाइयों तक पहुंच सकेंगे ।
समारोह में बोलते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर जैन ने एक छोटी सी ज्ञात तथ्य साझा किया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय को इसके संस्थापक स्वर्गीय पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा 51 लाख रुपये दिया गया , जिसे लगभग 100 साल पहले दिया गया था । उन्होंने स्वीकार किया कि पूर्व छात्रों के माध्यम से इतिहास आज भी जिंदा है।
नामकरण समारोह संस्थान में मौजूद कई गणमान्य व्यक्तियों के साथ लाइव आयोजित किया गया था । काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर जैन, प्रो. राजीव श्रीवास्तव, अन्य सभी डीन, प्रोफेसर, प्रभारी पुस्तकालय और आईआईटी (बीएचयू) के उप पुस्तकालयाध्यक्ष जूम के माध्यम से समारोह में शामिल होने वाले विशिष्ट अतिथि श्रीनिवास देशपांडे और उनके बेटे सहित उनके परिवार के कई सदस्य उपस्थित थे । उपस्थित लोगों द्वारा पुस्तकालय का वर्चुअल दौरा किया गया । उपस्थित लोगों ने गणमान्य व्यक्तियों नारायण मूर्ति (इन्फोसिस के संस्थापक) और सुधा मूर्ति साथ ही जय चौधरी (जेस्केलर के संस्थापक / अध्यक्ष और एक प्रतिष्ठित पूर्व छात्र) को भी सुना जिन्होंने श्रीनिवास देशपांडे को सम्मानित किया ।
आईआईटी (बीएचयू) संघ के अध्यक्ष अरुण त्रिपाठी और फाउंडेशन के बोर्ड सदस्य रमेश श्रीनिवासन (अजिलिस के अध्यक्ष / सीईओ) फाउंडेशन के लिए बोलते हुए संस्थान में दान देने के लिए देशपांडे परिवार को धन्यवाद दिया । अधिष्ठाता (संसाधन एवं पूर्व छात्र) प्रो. राजीव श्रीवास्तव ने संस्थान की ओर से समारोह का समन्वय किया और समारोह का समापन धन्यवाद ज्ञापन किया। खनन अभियांत्रिकी विभाग के बी.टेक अंतिम वर्ष की छात्र और छात्र-पूर्व छात्र संपर्क प्रकोष्ठ (सैक) के संयोजक ऐश्वर्य सक्सेना ने संस्थान छात्र परिवार की ओर से धन्यवाद दिया।