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वाराणसी

सप्‍तसागर दवा मंडी में पहुंचे एसआइटी अफसर, कफ सीरप की अवैध सप्लाई चेन की तलाश तेज

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मुख्‍य आरोप‍ित अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर, कई फर्मों की जांच-पड़ताल जारी

वाराणसी। पूर्वांचल में कोडीन युक्त कफ सीरप के अवैध कारोबार के मामले में आरोपित शुभम जायसवाल और उसके पिता भोला का पता पुलिस अभी तक नहीं लगा सकी है। एसआइटी की जांच आगे बढ़ते ही इनके काले कारोबार की जड़ें और गहरी होती जा रही हैं। आरोपितों के खिलाफ कोतवाली में दर्ज मुकदमों की जांच के लिए पुलिस कमिश्नर की ओर से गठित विशेष जांच दल बुधवार को सप्‍तसागर दवा मंडी पहुंचा।

एसआइटी ने शैली ट्रेडर्स के प्रोपराइटर पिता-पुत्र से जुड़कर काम करने वाली 28 फर्मों और उन्‍हें सप्‍लाई करने वाली सप्लाई चेन की कड़ी खंगाली। एसआइटी के अध्‍यक्ष एडीसीपी काशी ‘सरवणन टी’ की अगुवाई में टीम ने कई मेडिकल फर्मों के लाइसेंस, बिलिंग प्रणाली, दवाओं के भंडारण, एक्सपायरी दवाओं के रख-रखाव और प्रतिबंधित दवाओं से जुड़े दस्तावेजों की जांच की। दवा कारोबारियों को चेतावनी दी गई कि बिना बिल के लेन-देन और नशीली दवाओं की बिक्री पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मंगलवार को भी एसआइटी ने कई फर्मों से दस्तावेज खंगाले थे। कुछ और फर्मों को जांच के दायरे में चिह्नित किया जा रहा है। पुलिस शुभम और भोला प्रसाद के पुराने रिकॉर्ड, बैंकिंग लेनदेन, इंश्योरेंस व फर्म का हिसाब रखने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट से भी पूछताछ कर रही है।

लखनऊ स्थित ड्रग मुख्यालय से भी इस पूरे मामले की निगरानी हो रही है। पुलिस की टीमें बिहार और झारखंड तक पहुंच चुकी हैं। आरोप है कि शैली ट्रेडर्स के जरिये शुभम और उसके पिता ने वाराणसी समेत पूर्वांचल के 250 स्टाकिस्टों से फर्जी बिलिंग कराई। इसी मामले में 15 नवंबर को कोतवाली थाने में शैली ट्रेडर्स के प्रोपराइटर पिता-पुत्र सहित 28 फर्मों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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यह भी सामने आया है कि आरोपितों के नाम और पते अलग-अलग एफआईआर में भिन्न-भिन्न दर्ज हैं, जिससे उनकी पहचान और लोकेशन तलाशने में पुलिस को कठिनाई आ रही है। इसके अलावा इनके खिलाफ चंदौली, सोनभद्र, गाजियाबाद और जौनपुर में भी मुकदमे दर्ज हैं। इसके बावजूद पुलिस अभी तक इनकी सही लोकेशन तय नहीं कर सकी है।

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