गाजीपुर
पीपों की टक्कर से हिला रामकरण सेतु, प्रशासन सतर्क

कोतवाल ने रातभर गश्त कर संभाली स्थिति, टकराव के बावजूद पुल सुरक्षित
सैदपुर (गाजीपुर)। गंगा नदी में आई भीषण बाढ़ ने पूर्वांचल में कहर बरपाना शुरू कर दिया है। बीती शाम रामनगर स्थित पांटून पुल के करीब 10 पीपे एकसाथ तेज धार में बह जाने से हड़कंप मच गया। इन पीपों के तेज गति से बहकर आगे के किसी पुल से टकराने की आशंका को देखते हुए प्रशासन सतर्क हो गया। इसी क्रम में चंदौली-सैदपुर को जोड़ने वाले रामकरण सेतु पर मंगलवार रात से ही आवागमन पूरी तरह रोक दिया गया।
रात करीब 1:15 बजे जब बहते हुए पीपे रामकरण सेतु पुल से टकराए, तो पूरा पुल एक झटके के साथ हिल गया। लगभग 60 टन वजनी पीपों की टक्कर से क्षणिक दहशत का माहौल बन गया, लेकिन संयोगवश पुल को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा। पीपे दो हिस्सों में बंटते हुए बहकर आगे निकल गए, जिससे पुल और वहां मौजूद पुलिस बल ने राहत की सांस ली।
प्रशासन की ओर से कोतवाल योगेंद्र सिंह पुलिस बल के साथ रातभर पुल पर मुस्तैद रहे। उन्होंने पुल के दोनों छोरों पर बैरिकेडिंग कर यातायात पूरी तरह बंद कर दिया था। बहाव में बहे पीपों के पुल से टकराने के बाद जब स्थिति सामान्य हुई, तब जाकर करीब डेढ़ बजे रात पुलिस बल ने मोर्चा छोड़ा।
इस बीच पुल से यातायात रोके जाने की सूचना पर आमजन में अफवाहों का बाजार गर्म रहा। कई लोगों को लगा कि पुल टूट गया है या कोई बड़ा हादसा हो गया है। हालांकि प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह एक एहतियाती कदम था, जिससे किसी बड़े नुकसान से बचा जा सके।
प्रशासन अलर्ट मोड पर
रामनगर के पांटून पुल से पीपे बहने की खबर के बाद गाजीपुर, चंदौली और सैदपुर के प्रशासनिक अधिकारियों के बीच आपसी समन्वय के तहत गंगा के सभी प्रमुख पुलों पर निगरानी और आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया था।
क्या है पांटून पुल का मामला?
रामनगर का पांटून पुल गंगा पर बना एक अस्थाई पुल है, जिसमें लोहे के पीपों पर प्लेटफॉर्म रखा जाता है। भारी बाढ़ के दौरान पीपे कई बार दबाव में बह जाते हैं। मंगलवार को ऐसा ही हुआ जब 10 पीपे एक साथ बह निकले।
योगेंद्र सिंह, कोतवाल, सैदपुर ने बताया, स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। पुल सुरक्षित है, लेकिन गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए सतर्कता बरती जा रही है।”