वाराणसी
काशी के शिल्पकारों ने गढ़ी ‘ब्रह्मोस मिसाइल’, ऑर्डर में जबरदस्त उछाल

शिल्पियों की पीएम-सीएम से भेंट की खास मांग
वाराणसी। ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को करारा जवाब देने के बाद देशभर में देशभक्ति की भावना चरम पर है। इसी बीच वाराणसी के गुलाबी मीनाकारी शिल्पकारों ने अपनी कला के जरिए देशप्रेम का अनूठा संदेश दिया है। शिल्पियों ने गुलाबी मीनाकारी से ‘ब्रह्मोस मिसाइल’ तैयार की है, जिसकी मांग इन दिनों तेजी से बढ़ रही है।
गौरतलब है कि हाल ही में लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी का शुभारंभ किया गया। इसके बाद से काशी में जीआई टैग और ओडीओपी योजना में शामिल गुलाबी मीनाकारी शिल्प से बनी ब्रह्मोस मिसाइल को उपहार और सजावटी वस्तु के रूप में खूब सराहा जा रहा है।
कला और तकनीक का संगम
काशी के शिल्पकारों ने परंपरागत शिल्पकला में आधुनिक सैन्य तकनीक का समावेश करते हुए ब्रह्मोस मिसाइल की खूबसूरत प्रतिकृति बनाई है। यह मिसाइल शुद्ध हस्तशिल्प से बनाई गई है, जिसमें सोने-चांदी की महीन कारीगरी शामिल है।
पीएम-सीएम को भेंट करने की इच्छा
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पी कुंज बिहारी सिंह ने बताया कि यह कलाकृति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सेना के जवानों को समर्पित है। वे इसे व्यक्तिगत रूप से पीएम-सीएम को भेंट करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजनाओं से इस हस्तकला को नया जीवन मिला है और अब यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बना रही है।
मांग में जबरदस्त वृद्धि
शिल्पियों के अनुसार, अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के समय गुलाबी मीनाकारी से बने राम मंदिर की मांग चरम पर थी। अब इसी कड़ी में ब्रह्मोस मिसाइल की मांग देशभर से आ रही है। अब तक सैकड़ों ऑर्डर मिल चुके हैं। मिसाइल की कीमत 10,000 से 25,000 रुपये तक है, जो आकार और डिज़ाइन पर निर्भर करती है।
250 से अधिक शिल्पी जुड़े, 15 करोड़ सालाना कारोबार
गुलाबी मीनाकारी उद्योग से वर्तमान में 250 से अधिक शिल्पी जुड़े हैं और इसका सालाना कारोबार 12 से 15 करोड़ रुपये के बीच है। शिल्पी शालिनी यादव, प्रभात विश्वकर्मा, बाबू सोनी और दीपक विश्वकर्मा ने बताया कि इस कला को उपहार, सोविनियर और सजावट के तौर पर काफी पसंद किया जाता है।
पीएम-सीएम की सराहना से बढ़ा हौसला
प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी कई बार विदेशी मेहमानों को जीआई व ओडीओपी उत्पाद भेंट कर चुके हैं। साथ ही देशवासियों से भी ऐसे उत्पादों को उपहार स्वरूप देने की अपील की है। अब शिल्पियों को उम्मीद है कि ‘ब्रह्मोस मिसाइल’ जैसी कलाकृतियों से भारत की सांस्कृतिक और रचनात्मक ताकत को नई उड़ान मिलेगी।