वाराणसी
ईडी की चार्जशीट लोकतंत्र पर हमला: कांग्रेसजनों ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन

कांग्रेसजनों ने मोदी सरकार पर लगाया बदले की राजनीति का आरोप
वाराणसी। नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किए जाने के विरोध में बुधवार को वाराणसी में कांग्रेसजनों ने ज़ोरदार प्रदर्शन किया। जिला एवं महानगर कांग्रेस कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हुए।
प्रदर्शनकारियों ने जिला मुख्यालय पर एकत्र होकर केंद्र सरकार और ईडी के खिलाफ नारेबाज़ी की तथा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के नाम एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से कांग्रेसजनों ने चार्जशीट को लोकतंत्र के विरुद्ध साजिश बताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की।
इस प्रदर्शन का नेतृत्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेश्वर सिंह पटेल और महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने किया। नेताओं ने अपने संबोधन में ईडी की कार्रवाई को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ बताते हुए कहा कि मोदी सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर विपक्ष की आवाज़ को दबाना चाहती है।
राजेश्वर सिंह पटेल ने कहा, “नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों की जब्ती और गांधी परिवार पर निशाना साधना दरअसल कांग्रेस को कमजोर करने का एक सुनियोजित प्रयास है। मोदी-शाह की जोड़ी संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने पर आमादा है।”
राघवेंद्र चौबे ने भी तीखा हमला बोलते हुए कहा, “यह हमला सिर्फ कांग्रेस पर नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक परंपराओं पर है। गांधी परिवार के बलिदान को कोई सरकार झुका नहीं सकती। कांग्रेस का हर कार्यकर्ता सड़क से लेकर संसद तक इस तानाशाही के खिलाफ आवाज़ बुलंद करेगा।”
नेताओं ने मोदी सरकार पर “हम दो, हमारे दो” की नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र की प्राथमिकता अडानी-अंबानी की सुरक्षा है, जबकि आम जनता और विपक्षी दलों का दमन किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विपक्ष को आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
कांग्रेसजनों ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि भाजपा के बहुचर्चित “इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले” पर कोई जांच क्यों नहीं की जा रही, जबकि कांग्रेस को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।
प्रदर्शन में कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी मौजूद रहे, जिनमें फसाहत हुसैन बाबू, सजीव सिंह, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, ऋषभ पाण्डेय, डॉ. राजेश गुप्ता, सतनाम सिंह, वकील अंसारी, अरुण सोनी, राजीव राम, अशोक सिंह, विनोद सिंह, अनुराधा यादव, हसन मेहदी कब्बन, प्रमोद वर्मा, रोहित दुबे, विनीत चौबे, आरती सरोज आदि प्रमुख रहे।
सभी कांग्रेसजनों ने संकल्प लिया कि लोकतंत्र और न्याय की इस लड़ाई में वे किसी भी दबाव में पीछे नहीं हटेंगे और केंद्र सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियों के खिलाफ जन आंदोलन को तेज करेंगे।