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बिना ठोस आधार गिरफ्तारी अवैध : हाईकोर्ट

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डीजीपी को सभी जिलों में सर्कुलर जारी करने का आदेश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि बिना स्पष्ट और ठोस आधार के की गई गिरफ्तारी असंवैधानिक मानी जाएगी। न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने रामपुर निवासी मंजीत सिंह उर्फ इंदर की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) को सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों को गिरफ्तारी से जुड़े वैधानिक प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने हेतु निर्देशित किया है।

क्या है पूरा मामला?

मंजीत सिंह के खिलाफ थाना मिलाक, जनपद रामपुर में धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज था। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया। मंजीत सिंह ने इस गिरफ्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

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गिरफ्तारी मेमो में नहीं था कोई वैध आधार

याची के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पुलिस ने गिरफ्तारी के समय कोई वैध कारण नहीं बताया, बल्कि एक तैयारशुदा प्रोफार्मा पर गिरफ्तारी मेमो भरकर याची को थमा दिया गया। यह संविधान के अनुच्छेद 21(1) का उल्लंघन है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को अपने खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी पाने का अधिकार है।

कोर्ट ने पाया कि गिरफ्तारी मेमो में गिरफ्तारी का कोई ठोस कारण अंकित नहीं था। साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि विधिक सहायता प्राप्त करना अभियुक्त का मौलिक अधिकार है।

कोर्ट का निर्णय और निर्देश

इन तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने मंजीत सिंह की गिरफ्तारी को अवैध घोषित कर रद्द कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य के पुलिस प्रशासन को चेताया कि भविष्य में इस प्रकार की प्रक्रिया की अनदेखी न हो। डीजीपी को सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों को एक सर्कुलर जारी कर यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया कि गिरफ्तारी केवल वैध आधार और विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए की जाए।

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