मिर्ज़ापुर
विन्ध्य महोत्सव में कालबेलिया नृत्य ने मोहा मन, नपाध्यक्ष ने कलाकारों को किया सम्मानित

मिर्जापुर। माँ विन्ध्यवासिनी देवी के धाम विन्ध्याचल में नवरात्र मेला के अंतर्गत आयोजित विन्ध्य महोत्सव के तीसरे दिन का शुभारम्भ नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुन्दर केसरी ने दीप प्रज्ज्वलित कर व देवी चित्र पर माल्यार्पण कर किया। इस अवसर पर उन्होंने मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देने वाले कलाकारों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित भी किया।
नगर पालिका अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि विन्ध्य महोत्सव से स्थानीय कलाकारों को अपनी संस्कृति को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है, वहीं बाहर से आने वाले कलाकारों की लोकविधा को पहचानने और समझने का एक सुनहरा अवसर प्राप्त होता है।
सांस्कृतिक मंच की विशेष प्रस्तुतियाँ
महोत्सव के तीसरे दिन सांस्कृतिक मंच पर कई शानदार प्रस्तुतियाँ देखने को मिलीं। ध्रुव फाउंडेशन ग्रुप द्वारा प्रस्तुत राजस्थानी लोकनृत्य ‘कालबेलिया नृत्य’ आकर्षण का केंद्र रहा, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
विन्ध्याचल निवासी एवं वर्तमान में दिल्ली में कार्यरत नम्रता सिंह माली ने अपने कथक नृत्य से सभी का मन मोह लिया। उन्होंने शिव तांडव, गंगा नृत्य एवं अन्य शास्त्रीय नृत्यों की प्रस्तुतियाँ देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गोरखपुर से आए अजीत उपाध्याय एवं इन्दू गुप्ता की टीम ने भजन एवं गीतों की मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। उत्तराखंड के लोकनृत्य की बेहतरीन प्रस्तुति संस्कृति विभाग के कलाकार कुंदन सिंह चौहान और उनकी टीम द्वारा की गई।

स्थानीय कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियाँ
महोत्सव में मिर्जापुर के प्रसिद्ध कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुतियों से समां बाँध दिया। पतालू यादव ने बिरहा और भजनों से, कल्पना गुप्ता एवं गणेश प्रसाद गुप्ता ने लोकगीतों व भजनों से तथा सूरज कुमार व संतोष कुमार ने देवी गीतों से दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
शांति निषाद जागरण ग्रुप ने अनेक देवी गीत व भजन प्रस्तुत किए, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया। संस्कृति विभाग के कलाकार आनंद कुमार ने भी देवी गीत व भजन प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया।
कार्यक्रम में डिप्टी कलेक्टर शक्ति प्रताप सिंह ने मुख्य अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुन्दर केसरी को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
विन्ध्य महोत्सव के इस भव्य आयोजन में उपस्थित दर्शकों ने सभी प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद लिया और कलाकारों की कला को खुले दिल से सराहा। यह महोत्सव न केवल स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने का माध्यम बना, बल्कि अन्य राज्यों की लोकसंस्कृति को भी करीब से जानने का अवसर प्रदान किया।