चन्दौली
हज़रत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में बकरीद पर अदा हुई रस्में

सैयदराजा (चंदौली)। आदर्श नगर पंचायत सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व शनिवार को बड़े ही अकीदत (श्रद्धा) के साथ मनाया गया। मस्जिदों एवं ईदगाहों में अलग-अलग निर्धारित समयानुसार नमाज़ अदा की गई। पुराने ईदगाह में सुबह 7:15 बजे, ताजुशरिया जामा मस्जिद में 7:30 बजे तथा पुरानी टंकी वाले ईदगाह में 6:45 बजे नमाज़ अदा की गई।
नमाज़ के बाद मुस्लिम बंधुओं ने एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी और देश में अमन-चैन की दुआएं मांगीं। इसके पश्चात लोगों ने अपने-अपने घरों में जाकर कुर्बानी की रस्म अदा की।
ईदगाह व मस्जिदों के पास सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। पुराने ईदगाह के पास सहित अईलही, मैढी, नौबतपुर, कोनिया, थरौली आदि स्थानों पर भी नमाज़ शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई।
इस दौरान क्षेत्राधिकारी चंदौली सदर एवं प्रभारी निरीक्षक विन्देश्वर प्रसाद पाण्डेय हमराही पुलिस बल के साथ मुस्तैद रहे।
पुराने ईदगाह में नमाज़ से पूर्व मौलाना मोहम्मद अहमद मिस्बाही ने संबोधन में कहा कि हज़रत इब्राहिम ने अपने पुत्र हज़रत इस्माइल की कुर्बानी अल्लाह की राह में देने का संकल्प लिया था। उस समय अल्लाह ने इस्माइल के स्थान पर एक दुम्बा रख दिया, और उस दुम्बे की कुर्बानी दी गई। इसके बाद पैगंबर हज़रत मोहम्मद साहब ने इस परंपरा को जारी रखा।
मौलाना ने बताया कि बकरीद के दिन बकरे या दुम्बे की कुर्बानी दी जाती है, और उसका तीन हिस्सों में वितरण किया जाता है — एक हिस्सा गरीबों के लिए, एक रिश्तेदारों के लिए और एक अपने घर के लिए। यह कुर्बानी का सिलसिला अगले तीन दिनों तक चलता रहेगा।